27 मई 2023
दूसरे चरण में पांच शक्तिपीठों के दर्शन पूरे किये प्रेमसागर ने। जितनी जद्दोजहद दर्शन करने के लिये थी; उतनी ही वापसी के लिये भी है। एक भी पल ज्यादा रुकने का अर्थ है पैसा खर्च करना। और पैसे उनके पास हैं नहीं। कांगड़ा घाटी की सुंदरता समेटने के लिये उनके पास संसाधन नहीं हैं।
पांच सात सौ साल पहले का जमाना नहीं है जब साधू-संतों की इज्जत किया करते थे ग्रामीण। ग्रामीण और नागरिक बदल गये हैं और साधू संतों ने भी अपनी इज्जत खराब कर ली है। यायावरी का वह मॉडल अब उतना प्रभावी नहीं है।
यह ब्लॉग लेखन – यह डियाकी (डिजिटल यात्रा कथा लेखन) कुछ सीमा तक उनकी सहायता करता है। जब उन्हें अपना परिचय देता है तो वे अपने ऊपर लिखी पोस्टों का संदर्भ देते हैं। उससे कुछ लोग प्रभावित होते हैं, कुछ नहीं भी होते। यूं गड्डमड्ड तरीके से काम चल रहा है।
प्रेमसागर को कांगड़ा से रानीताल तक किसी सज्जन ने अपने वाहन में जगह दे दी है। अब वे रानीताल पंहुच कर किसी बस की प्रतीक्षा कर रहे हैं। या हो सकता है कि कोई दूसरे वाहन में उन्हें लिफ्ट मिल जाये। आसपास खड़े लोग भी उनकी सहायता करना चाहते हैं।
देखें आगे की यात्रा कैसे होती है। वे होशियारपुर या जालंधर कैसे पंहुचते हैं। वहां से उन्हें बनारस आना है और बनारस से मुझसे मिलने आना है। वे आगे की यात्रा का रूट-मैप बनाने के लिये मेरे इनपुट्स मांगेंगे। मुझसे जो उनके शक्तिपीठों की यात्रा में नहीं, उनकी पदयात्रा में रुचि रखता है – वह जो अच्छा यात्रा विवरण न मिलने पर खीझता है और अच्छा कण्टेण्ट मिलने पर मन मयूर हो जाता है।

हर हर महादेव। ॐ मात्रे नम:!
| प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
| दिन – 103 कुल किलोमीटर – 3121 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल। |

Sir Bhale log bhi h
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सब तरह के हैं। :-)
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