“लोग बहुत अच्छे हैं भईया। एक नौजवान लड़के ने तो मुझे रोक कर कोल्ड ड्रिंक और दो पैकेट बिस्कुट मंगाया मेरे लिये।
एक और जगह तो दो लोगों ने रोक कर चाय पिलाई। ब्राह्मण के रूप में बड़ी कदर की मेरी।”
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
“लोग बहुत अच्छे हैं भईया। एक नौजवान लड़के ने तो मुझे रोक कर कोल्ड ड्रिंक और दो पैकेट बिस्कुट मंगाया मेरे लिये।
एक और जगह तो दो लोगों ने रोक कर चाय पिलाई। ब्राह्मण के रूप में बड़ी कदर की मेरी।”