अदरक, कालीमिर्च, चायमसाला और चायपत्ती प्रति कप कितनी मिलानी है और दूध का प्रयोग किस प्रकार करना है कि दूध फटे नहीं — यह सब इतना कर लिया है कि एक थीसिस लिख सकता हूं। और बात केवल चाय बना सकने की नहीं है। चाय प्रेम भी प्रकृति प्रेम से कम नहीं है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
अदरक, कालीमिर्च, चायमसाला और चायपत्ती प्रति कप कितनी मिलानी है और दूध का प्रयोग किस प्रकार करना है कि दूध फटे नहीं — यह सब इतना कर लिया है कि एक थीसिस लिख सकता हूं। और बात केवल चाय बना सकने की नहीं है। चाय प्रेम भी प्रकृति प्रेम से कम नहीं है।