चिन्ना पाण्डे मेरे पास आई हुई है अपनी समर वेकेशंस में। वह मुझसे साइंस, सोशल स्टडीज और गणित पढ़ रही है। गांव में अपने दलित बस्ती के दोस्तों के साथ घूम रही है। उनकी बस्ती में जा कर उनका रहन सहन देखती है और उसपर अपने विचार मुझे बताती है। गरीबी, बेफिक्री और सामाजिक असमानता के बावजूद भी भिन्न भिन्न वर्गों के लोगों से मिलना और उनको समझना उसे बहुत रुच रहा है। गणित पढ़ने की बजाय एक कम्यूनिटी बना कर लोगों के साथ जुड़ना उसे ज्यादा भा रहा है।
मेरी पत्नीजी कहती हैं कि दस साल की उम्र में उन्हें तो कुछ भी नहीं आता था। उसके मुकाबले चिन्ना पांडे तो बहुत कुछ जानती समझती है।
दो दिन से वह भूतों की बात कर रही है। भूत, चुडैल आदि की। उनकी थ्योरी भी उसने कल्पित कर ली हैं।
“बाबा, भूतों को भी सस्टेनेंस के लिये कुछ तो ऑक्सीजन चाहिये। ज्यादा नहीं, एटमॉस्फीयर में पांच परसेंट ऑक्सीजन हो तो भी भूत रह सकते हैं। उन्हें जिंदा नहीं रहना होता, केवल होना होता है। वे तो मरने के बाद ही भूत बनते हैं, न!”

“मेरे ख्याल से चुडैलों को पांच पर्सेंट से थोड़ा कम ही ऑक्सीजन की जरूरत होती है।” चिन्ना का एक पॉस्चुलेट है। उसके और भी कई सिद्धांत हैं – भूतों को तापक्रम बहुत कम चाहिये। जितना कम टेम्परेचर होगा, उतने ज्यादा भूत होंगे।”
मैने अपना विचार रखा – “तब तो सूरज और मर्करी-वीनस पर तो भूत होते ही नहीं होंगे?”
“हां बाबा, और भूत तो सोलर सिस्टम के बाहर हैं ही नहीं। नेपच्यून-प्लूटो पर भी भूत नहीं हैं। दूर के प्लेनेट्स पर रहना उन्हें पसंद नहीं है।”
चिन्ना ने भूतों के अध्ययन के शास्त्र का नाम भी सोच रखा है। “बाबा, भूतों की स्टडी को भूतॉनिक्स कहा जाता है। थोड़ी बड़ी हो कर मैं भूतॉनिक्स में पीएचडी करूंगी।”

एक दस साल का बच्चा भूतों के बारे में इस तरह से वैज्ञानिक शब्दावली में कल्पना कर सकता है, मुझे देख कर आश्चर्य हुआ। यह भी लगा कि अगर उसकी कल्पनाशीलता को दबाया न जाये तो भविष्य में वह हैरी पॉटर की तर्ज पर शायद पुस्तकें लिख-रच पाये।

शानदार चिन्ना पाण्डे
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आपकी जय हो!
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Chinna bitiya apka man belane avam study k liye ayi summer vacation m Baba ki tarah hi ojaswi h God bless her
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