“गंगा का पानी निर्मल है, पीने का मन करेगा”

वह आदमी गंगा के करार पर बैठा फोन पर किसी से बातचीत कर रहा था। मैं वहां अपनी पत्नीजी के साथ पंहुचा और नीचे बहती नदी को देख पर पत्नीजी से बोला – गंगा में वेग भी ज्यादा नहीं है और पानी भी साफ लगता है।

उस व्यक्ति ने फोन पर बातचीत खत्म की – “ठीक बा, चलअ रक्खी? (ठीक है, फोन बंद करूं?)” और तब मुझे बोला – “पास जा कर देखिये। नदी का पानी हाथ में लेने पर पीने का मन होने लगेगा। बहुत निर्मल है। गंगा अब बहुत साफ हो गयी हैं। बरसात के समय जैसे मटमैला जल था, वैसा नहीं है। और पानी उतर भी ज्यादा नहीं रहा है। बहुत धीरे धीरे उतर रही हैं गंगा।”

मैने पूछा – रोज आप यहीं बैठते हैं?

“गुरूजी, वो नीचे मेरे गोरू चर रहे हैं। यहीं बैठ कर उन्हें देखता हूं। घंटा भर बाद सूरज डूबने लगेंगे तो उन्हें इकट्ठा कर लौट जाऊंगा। यहीं मंदिर के बगल में रहता हूं।”

मैं समझ गया। पास में ही गड़रियों के आधा दर्जन घर हैं। ज्यादातर उनके पास भेड़ें और कुछ बकरियां हैं। बड़े लहान पर उनकी बस्ती है। भेड़ों को एक कतार में पानी पीने की जगह मिलनी चाहिये। कोई बड़ा तालाब हो या नदी-नहर। यहां उनके डेरे के बगल में ही गंगाजी हैं। चरने के लिये गंगा का करार-कछार है। सभी गंगातारी गांव भेड़ियहे-गड़रिये वाले हैं। यह सज्जन भी उनमें से हैं। नाम बताया – कमलेश। कमलेश पाल।

मैं कमलेश पाल को नहीं जानता पर कमलेश जानते हैं। हाईवे पर आते जाते उन्होने मेरा घर देखा है। मेरे वाहन से उन्होने मेरे बारे में उन्होने अंदाजा लगाया।

मुझसे बात करने के लिये कमलेश बोले – “गुरूजी, आप तो बुद्धिमान हैं। आप तो जानते होंगे कि क्या रात बारह बजे गंगाजी एक बारगी बहना बंद कर थम जाती हैं?”

मैंने कहा – रात में और खासकर रात बारह बजे तो मैने गंगाजी को देखा नहीं। आपने कहां से सुना? खुद का अनुभव है क्या?

“हां। वैसे तो गंगा किनारे रहने के बावजूद भी रात में कभी गंगा के पास नहीं आया था, पर डेढ़-दो साल पहले फलाने ठाकुर साहब गुजर गये थे। उनके क्रिया कर्म के लिये गांव भर के हम सब रात में ही गंगा किनारे आये थे। मैने “प्रत्यच्छ” देखा था। छन भर को गंगा माई का पानी रुक गया था। ठीक बारह बजे। उसके पहले मुझे भी यकीन नहीं होता था।” – कमलेश ने अपना “अनुभव” बताया।

कमलेश ने जैसा मुझे बताया, वैसा अनेकानेक लोगों को बताया होगा। गंगा तीर पर रहने वाले व्यक्ति का अनुभव! बहुत से लोग उसपर यकीन कर ले रहे होंगे। बहुत से लोग यह ‘अनुभव’ आगे भी लोगों को सुना कर बता रहे होंगे कि गंगाजी रात बारह बजे एक क्षण को थम जाती हैं। कुछ लोग इसे महाशिवरात्रि से भी जोड़ देते होंगे। भारत में मिथक ऐसे ही जन्मते-पनपते हैं।

कमलेश पाल

मैंने कमलेश जी से कहा – गंगा किनारे कितने लोग होंगे जो इस तरह दो-तीन घंटा गंगा के बहाव को सूरज की परछाई में निहारते गुजार पाते होंगे? वह भी रोज! कमलेश जैसे गंगा-अनुभव वाले कम ही लोग होते होंगे। मैं खुद गंगा किनारे से दो किमी दूर रहते हुये भी यदा कदा ही यहां आता हूं। और आते ही पत्नीजी कहने लगती हैं कि जल्दी चलो, घर में फलाना काम रुका पड़ा है। … गंगातारी गांव के कमलेश से ईर्ष्या हो सकती है!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on ““गंगा का पानी निर्मल है, पीने का मन करेगा”

    1. पानी की निर्मलता तो निश्चय ही रिसर्च का विषय है। आधी रात को वेग थम जाना तो शायद श्रद्धा के डोमेन में आता है।

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