सताईसवां दिन – मिले नाश्ता, गमछा, लाठी और इक्यावन रुपये दो विकल्प थे प्रेमसागर के पास। एक था पक्की सड़क के रास्ते चलने का और दूसरा नर्मदा किनारे किनारे कुछ असुविधाजनक मार्ग का। ज्यादातर लोग सुविधा चाहते होंगे। मैं तोल रहा था कि प्रेमसागर कौन सा रास्ता चुनते हैं। अगर वे झटपट परिक्रमा कर अपनेContinue reading “गंजीत से पीलीकरार”
