क्या बतायें – सिनेमा का ‘स’ तक नहीं आता


संजीत त्रिपाठी ने संजय लीला भंसाली पर लिंक दिये हैं – मेरी उनके प्रति अज्ञानता दूर करने को। पर उन लिंकों पर जाने पर और भी संकुचन हो रहा है। संजय भंसाली बड़े स्तरीय फिल्म निर्देशक लगते हैं। जो व्यक्ति पूरे आत्मविश्वास के साथ कहे कि ‘वह सिनेमा के माध्यम से अपनी व्यक्तिगत छटपटाहट व्यक्तContinue reading “क्या बतायें – सिनेमा का ‘स’ तक नहीं आता”

एक कतरा रोशनी


मेरे घर में मेरे सोने के कमरे में एक जरा सा रोशनदान है। उससे हवा और रोशनी आती है और वर्षा होने पर फुहार। कमरे का फर्श और कभी-कभी बिस्तर गीला हो जाता है वर्षा के पानी से। एक बार विचार आया था कि इस गलत डिजाइन हुये रोशनदान को पाट दिया जाये। पर परसोंContinue reading “एक कतरा रोशनी”

आत्मवेदना: मि. ज्ञानदत्त आपकी हिन्दी बोलचाल में पैबन्द हैं।


ब्लॉग पर हिन्दी में लिखने के कारण शायद मुझसे ठीक से हिन्दी में धाराप्रवाह बोलने की भी अपेक्षा होती है। लोगों के नजरिये को मैं भांप लेता हूं। अत: जब वेब-दुनिया की मनीषाजी ने मुझसे 10-15 मिनट फोन पर बात की तो फोन रख सामान्य होने के बाद जो पहला विचार मन में आया वहContinue reading “आत्मवेदना: मि. ज्ञानदत्त आपकी हिन्दी बोलचाल में पैबन्द हैं।”

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