अपने ब्लॉग पर जिस विविधता की मैं आशा रखता हूं, वह बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया पूरी कर रहे हैं। पिछली पोस्ट में जल-सुराही-प्याऊ-पानी के पाउच को लेकर उन्होने एक रोचक सामाजिक/आर्थिक परिवर्तन पर वर्तनी चलाई थी। आज वे अपशिष्ट पदार्थ के बायो डीग्रेडेशन और उसमें गुबरैले की महत्वपूर्ण भूमिका का विषय हमेंContinue reading “गुबरैला एक समर्पित सफाई कर्मी है”
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पानी की सुराही बनाम पानी का माफिया
पानी के पुराने प्रबन्धन के तरीके विलुप्त होते जा रहे हैं। नये तरीकों में जल और जीवों के प्रति प्रेम कम; पैसा कमाने की प्रवृत्ति ज्यादा है। प्रकृति के यह स्रोत जैसे जैसे विरल होते जायेंगे, वैसे वैसे उनका व्यवसायीकरण बढ़ता जायेगा। आज पानी के साथ है; कल हवा के साथ होगा। और जल परContinue reading “पानी की सुराही बनाम पानी का माफिया”
जल का क्लोरीनेशन और अन्य समस्याओं पर विचार
पिछली बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया ने भूमिगत जल और उसके प्रदूषण पर विस्तृत जानकारी दी थी। आज के उनके इस लेख में भी जल पर और कोणों से चर्चा है। विशेषत: उन्होने क्लोरीनेशन के विषय में आम अल्पज्ञता के बारे में प्रकाश डाला है। उनके पुराने लेख आप पंकज अवधिया के लेबलContinue reading “जल का क्लोरीनेशन और अन्य समस्याओं पर विचार”
