मैने श्री प्रवीण चन्द्र दुबे से उनके शोध कार्यों पर लिखी उनकी पुस्तकों पर जिज्ञासा जताई थी। कुछ दिनों बाद मुझे एक अनजान नम्बर से फोन आया। बोटानिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के सेण्ट्रल रीजनल सेण्टर, इलाहाबाद से श्री अर्जुन तिवारी फोन पर थे। उन्होने बताया कि कुछ समय बाद वे अपने विन्ध्य की वनस्पतियों परContinue reading “जंगल की वनस्पतियों पर शोध ग्रंथ”
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पलाश, सागौन और मध्यप्रदेश के आदिवासी
मैं प्रवीणचन्द्र दुबे जी से हाइब्रिड यूकलिप्टस और हाइब्रिड सागौन के प्लाण्टेशन के बारे में चर्चा करना चाहता था। प्रवीण जी मेरे सम्बन्धी हैं। उज्जैन सर्किल के मुख्य वन अधिकारी ( Chief Conservator of Forests) हैं। उससे भी अधिक; विद्वान और अत्यन्त सज्जन व्यक्ति हैं। उनकी विद्वता और सज्जनता मुझे सम्बन्धी होने से कहीं ज्यादाContinue reading “पलाश, सागौन और मध्यप्रदेश के आदिवासी”
आप एक बार लिखकर कितनी बार मिटाते या उसे सुधारते हैं?
बात वर्ष १९९७ की है जब मैं भीतरकनिका अभ्यारण्य के एक प्रोजेक्ट में शोध सहायक का साक्षात्कार देने के लिए कटक गया था| कम उम्र में इतनी अधिक अकादमिक उपलब्धी को देखकर चयनकर्ता अभिभूत थे| वे हां कहने ही वाले थे कि एक वरिष्ठ चयनकर्ता ने यह प्रश्न दागा| “एक बार भी नहीं| जो भीContinue reading “आप एक बार लिखकर कितनी बार मिटाते या उसे सुधारते हैं?”