<<< पुराने कपड़ों से रजाई बनाने वाले >>> घर के बगल की महुआरी में आये हैं पुराने कपड़े से रजाई-गद्दे बनाने वाले। तीन दिन से डेरा किया है। मेरी पत्नीजी की सहायिका अरुणा अपने इक्कीस किलो पुराने कपड़ों से तीन रजाइयां बनवा लाई है। उसने हमें बताया तो हम (पत्नीजी और मैं) देखने गये। महुआरीContinue reading “पुराने कपड़ों से रजाई बनाने वाले”
Category Archives: महराजगंज
उमरहाँ के राकेश मिसिर जी
राकेश जी को छोड़ने के लिये मैं घर के गेट तक गया। उनके जाते हुये मन में विचार आया कि घर में किसी के आने पर उन्हें चाय परोसी जाये तो (लौंग-इलायची भले हो न हो) साथ में तश्तरी में एक चुनौटी और सुरती होनी ही चाहिये।
तिरंगा और जलेबी
मेरी जलेबी ठण्डी न हो जाये, इसलिये घर पंहुचने की जल्दी थी। अन्यथा इस राष्टीयता के बाजर की चहल पहल को और इत्मीनान से देखता।
