मैं देख रहा हूं, ब्लॉग की रेलेवेंस (relevance – प्रासंगिकता) और मिडलाइफ क्राइसिस पर चर्चा होने लगी है। हमारे जैसे के ब्लॉग तो नुक्कड़ का किराना स्टोर थे/हैं; पर चर्चा है कि ब्लॉग जगत के वालमार्ट/बिगबाजार कोहनिया रहे हैं कि चलेंगे तो हम। यह कहा जा रहा है – “एक व्यक्ति के रूप मेँ वेब-लॉगContinue reading “ब्लॉगजगत की मिडलाइफ क्राइसिस”
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किधर?
जो भी है, बड़ी फैसिनेटिंग है! प्री-पोस्ट त्वरित टिप्पणी – कर दो पोस्ट। क्या फरक पड़ता है। तुम सब आधे दिमाग के लोग हो – रीता पाण्डेय। (लिंकित पोस्ट पर जाने के लिये चित्र क्लिक करें)
सनराइज की सेलरी का सदमा
मेरे निरीक्षक श्री सिंह को कल सेलरी नहीं मिली थी। कैशियर के पास एक करोड़ तेरह लाख का कैश पंहुचना था कल की सेलरी बांटने को; पर बैंक से कुछ गूफ-अप (goof-up – बेवकूफियाना कृत्य) हो गया। कुल सत्तर लाख का कैश पंहुचा। लिहाजा सौ डेढ़ सौ लोगों को सेलरी न मिल पाई। पहले तनातनीContinue reading “सनराइज की सेलरी का सदमा”
