मेरे जैसे अनेक हैं, जो लेखन की दुनियां से पहले कभी जुड़े नहीं रहे। हम पाठक अवश्य रहे। शब्दों के करिश्मे से परिचित अवश्य रहे। पर शब्दों का लालित्य अपने विचारों के साथ देखने का न पहले कभी सुयोग था और न लालसा भी। मैं अपनी कहूं – तो रेलवे के स्टेशनों और यार्ड मेंContinue reading “हिन्दी ब्लॉगिंग और सृजनात्मकता”
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शिक्षा में अंग्रेजियत के डिस्टॉर्शन
अपनी मातृभाषा के साथ अंग्रेजी की शिक्षा में गड़बड़ नहीं है। गड़बड़ अंग्रेजियत की शिक्षा में है। जब हमारा वैल्यू सिस्टम बदलता है तो बहुत कुछ बदलता है। अंग्रेजियत ओढ़ने की प्रक्रिया में जो बदलाव आता है वह डिस्टॉर्शन (distortion – विरूपण, कुरूपता, विकृति) है – सही मायने में व्यक्तित्व में बदलाव या नया आयामContinue reading “शिक्षा में अंग्रेजियत के डिस्टॉर्शन”
’सेक्सी’ में कितना सेक्स है?
शिवकुमार मिश्र मेरी तरह ही हैं – नये जमाने के स्लैंग्स से अपरिचित या असहज। उनके (या सही कहें तो हमारे) ब्लॉग पर उनकी पोस्ट पर हरि ओम जी ने टिप्पणी कर दी – sexy artical……….’ enjoyed n learnt a lot….. और शिव इतना ब्लश किये कि अपने बचाव में दन्न से फ्रॉयड को लेContinue reading “’सेक्सी’ में कितना सेक्स है?”
