यात्रा को जो ट्रेक्शन मिल रहा है; उससे लगता है; भाजपा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। और जैसा मेरा सोचना है – भाजपाई मोदी नामक तारणहार की ओर ताकते सुविधाभोगी बनते गये हैं। वे अब उतने ही दो कौड़ी के लगते जा रहे हैं, जितने थके थुलथुल कांग्रेसी।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
यात्रा को जो ट्रेक्शन मिल रहा है; उससे लगता है; भाजपा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। और जैसा मेरा सोचना है – भाजपाई मोदी नामक तारणहार की ओर ताकते सुविधाभोगी बनते गये हैं। वे अब उतने ही दो कौड़ी के लगते जा रहे हैं, जितने थके थुलथुल कांग्रेसी।