फालाकाटा से बारोबीशा


“भईया सोपारी भी किसिम किसिम की होती है। एक जगह मैंने रिक्वेस्ट किया कि सुपारी के बोरों का फोटो खींच लूं। बेपारी ने खुशी खुशी खींचने दिया। एक पकी सुपारी फोड़ कार खिलाई भी। मुलायम थी। पर मुझे तो स्वाद पसंद नहीं आया।”

जलपाईगुड़ी से फालाकाटा


नदी में सूरज की अरुणिमा चमत्कारी दृश्य प्रस्तुत करती है।
प्रेमसागर जिस स्थान पर रुके थे, वह नदी से साढ़े चार किमी दूर है नक्शे में। जरूर वे चार बजे उठ कर निकले होंगे। जो आदमी भोर में उठ कर निकलता है, वही आनंद ले सकता है ऐसे दृश्यों का।

Design a site like this with WordPress.com
Get started