इस ठेले का किट मैने अपने कस्बे महराजगंज में देखा और बनारस में भी।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
इस ठेले का किट मैने अपने कस्बे महराजगंज में देखा और बनारस में भी।