नीलगाय किनारे लगा। उसके एक पैर में शायद चोट लगी थी। इसी कारण वह कुत्तों के चंगुल में आ गया था। भयभीत था और उसकी दुम उसके पृष्ठभाग में दबी हुई थी।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
नीलगाय किनारे लगा। उसके एक पैर में शायद चोट लगी थी। इसी कारण वह कुत्तों के चंगुल में आ गया था। भयभीत था और उसकी दुम उसके पृष्ठभाग में दबी हुई थी।