विराटनगर से भामोद और लू लगने से अस्वस्थता


लू लगने से बुखार में तपता आदमी 925 किमी की यात्रा करे बस और कार में! मेरे ख्याल से निहायत पागलपन है। पर पूरा भारत भ्रमण बिना संसाधन, महादेव के सहारे, पैदल करने वाला उन्हीं के गण जैसा ही तो होगा!

श्री अम्बिका शक्तिपीठ, विराटनगर


प्रेमसागर ने खुद ही घण्टी बजाई, ध्यान किया और दर्शन कर बाहर निकले। “भईया, मंदिल छोटा ही है। शक्तिपीठ का बोर्ड जरूर लगा है। माता की आंखें बड़ी सुंदर हैं। लगता है कुछ बोल रही हैं।

सरिस्का से बैराट, विराटनगर


पदयात्रा में कोई करन-अर्जुन के किरदार, कोई सीतेश मिश्र, कोई महेश सैनी जी, कोई बाबा प्रेमदास मिल जाते हैं।… यात्रा की प्रकृति पर उन सब से फर्क नहीं पड़ता। अगला दिन होता है और प्रेमसागर आगे की यात्रा पर निकल लेते हैं।

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