मित्रों, आप तो मेरा पर्सोना ही बदल दे रहे हैं!


किसी भी जन्म दिन पर नहीं हुआ कि मुझे इतने एकोलेड्स (accolades – प्रशस्तियाँ?) मिले हों। सुकुल ने तो इतना कहा कि जितना मेरे किसी जगह के फेयरवेल में भी नहीं कहा गया। सभी कुछ सुपरलेटिव! उसके बाद तो आप सब ने इतना चढ़ाया कि मुझे अपने पर्सोना (persona – व्यक्ति का सामाजिक पक्ष) मेंContinue reading “मित्रों, आप तो मेरा पर्सोना ही बदल दे रहे हैं!”

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