हिन्दी और अंग्रेजी में ३० गुणा का अंतर


श्रीयुत श्रीलाल शुक्ल जी को पद्मभूषण सम्मान

इस अवसर पर “रागदरबारी” के सभी “वादकों” को बधाई!


अंग्रेजी में एक ब्लॉग है – Get Rich Slowly. ठीक ठाक ब्लॉग है। फीडबर्नर पर उसके ४६००० पाठक हैं। अभी एक पोस्ट में उसने बताया कि १५ अप्रेल २००६ से ५ मार्च २००७ के बीच उसे ३२५ दिन में अपने पहले १,०००,००० विजिटर मिले। उसके बाद अब तक ४,०००,००० और आ चुके हैं।

मेरे ब्लॉग पर भी लगभग ३२५ दिन हुये हैं। उक्त अंग्रेजी वाले ब्लॉग की अपेक्षा पोस्ट पब्लिश करने की मेरी आवृति कुछ कम है। पर बहुत अंतर नहीं है।

मुझे अपनी ३२४ पोस्टों में कुल ३३,००० विजिटर प्राप्त हुये हैं अब तक। अर्थात अंग्रेजी वाले ब्लॉग से १/३० के गणक में लोग आये हैं ब्लॉग पर।

यह अंतर सदा बना रहेगा? कहा नहीं जा सकता। शायद बढ़े। “गेट रिच स्लोली” के पाठक एक्स्पोनेन्शियली (≈ex) बढ़े हैं। हिन्दी में मुझे यह बढ़त लीनियर (≈a.x) लगती है। इस हिसाब से गैप बढ़ता जायेगा। पर यह तो आकलन करना ही होगा कि लिखने का ध्येय क्या है? अगर वह नम्बर ऑफ विजिट्स बढ़ाना है तो शायद हमें बूट्स उतार कर टांग देने चाहियें (दुकान बन्द कर देनी चाहिये)?!

विजिटर्स बढ़ने से रहे इस चाल से।

वैसे Get Rich Slowly के ब्लॉगर J.D. ने मेरी क्यूरी के एक उद्धरण से अपना ध्येय बताया है ब्लॉग का। उद्धरण है:

You cannot hope to build a better world without improving the individuals. To that end each of us must work for his own improvement, and at the same time share a general responsibility for all humanity, our particular duty being to aid those to whom we think we can be most useful. — Marie Curie (1867-1934)

सो अगर मैडम क्यूरी के कथन का अनुसरण करें तो आत्मोन्नति के लिये और उसके माध्यम से उनके फायदे के लिये, जिन्हे हमसे लाभ हो सकता है, यह लेखन होना चाहिये। मुझे J.D. का कहा (इसलिये नहीं कि अंग्रेजी में कहा है!) पसन्द आया। वही सार्थक प्रयास हम हिन्दी में लिखने वालों को करने चाहियें। पोस्टें धरातल पर हों और पठनीय हों। बाकी; विजिटर्स की संख्या तो बाई-प्रोडक्ट होगी। क्या ख्याल है?


मैने वाह मनी के रीडर्स के आंकड़े देखे। क्या जबरदस्त उछाल है इस महीने। 1500-2300 पेज व्यू प्रति माह से जम्प हो कर जनवरी में 3800 के आस-पास पेज व्यू! सेंसेक्स धड़ाम! वाह मनी उछला!!!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

10 thoughts on “हिन्दी और अंग्रेजी में ३० गुणा का अंतर

  1. ह्म्म वाकई एक पोस्ट में आपने कितने मुद्दे समेट लिए!!बात अंग्रेजी की हो या हिंदी ब्लॉग्स की, आवश्यक ही है कि पोस्टें धरातल पर हो और पठनीय हो!!

    Like

  2. आपसे सहमत हूँ। कुछ राज भी खोलना चाहूंगा। मै देश भर की 18 से अधिक कृषि पत्र-पत्रिकाओ मे पिछले दस वर्षो से नियमित लिख रहा हूँ। मै जब लेख लिखता हूँ तो उन्हे भेजने के साथ ही ब्लाग पर भी डाल देता हूँ। इससे यह लाभ हुआ कि दस से अधिक नयी पत्रिकाओ ने अच्छे मानदेय के साथ अपनी पत्रिका मे लिखने का आमंत्रण दिया। बहुत मुफ्त वाले अभी कतार मे है। किसानो के लिये ब्लाग से नयी पीढी के वे किसान सम्पर्क करने लगे जो जडी-बूटियो के लिये इंटरनेट का सहारा लेते है। इसी ब्लाग के कारण मै पिछले कई महिने से देश भर की यात्रा कर रहा हूँ वह भी हवाई जहाज से। गूगल ने एक नया मंच दे दिया है। यदि वह इसके एवज मे कुछ माँगे तो वह भी देने को तैयार हूँ। इसेलिये पाठक की संख्या से अधिक इफेक्टिव पाठक मेरे लिये जरूरी है। चाहे वह एक ही क्यो न हो। इस सन्देश से उन लोगो को भी जवाब मिल रहा होगा जो पूछ्ते रहते है कि क्या ब्लागिंग से पैसे कमाये जा सकते है?

    Like

  3. जहां तक मुझे पता है, आप मेरे ब्लौग पर अक्टूबर से लगातार आ रहें हैं.. उस समय मेरे ब्लौग पर आने वालों कि संख्या बहुत कम थी.. और अगर पिछले 2 माह कि बात करें तो मुझे तो यही लगता है की मेरे ब्लौग पर आने वालों कि संख्या एक्सपोनेनसियल ही बढ रही है..नवंबर तक मुझे कुल 1500 पाठक मिले थे.. और पिछले दो माह में लगभग 3000 से ज्यादा..वैसे आपका कहना बहुत सही है.. मेरा एक मित्र जो अंग्रेजी में ब्लौग लिखता है वो महीने में शायद एक-दो पोस्ट से अधिक कुछ भी पोस्ट नहीं करता है.. पर उसके ब्लौग के रेपो के चलते उसे प्रतिदिन औसत 250 पाठक मिलते हैं.. मेरे ब्लौग लिखने के पीछे उसी का हाथ है.. मुझे उसी ने उत्साहित किया था ब्लौग लिखने के लिये.. उसके ब्लौग का पता है -http:/fundubytes.blogspot.com/वो आजकल कारपोरेट ब्लौगिंग करता है (मतलब वो दूसरों के लिये ब्लौग लिखता है पैसे लेकर) और उसी से जीवन यापन कर रहा है..उसके कारपोरेट ब्लौगिंग वाले ब्लौग का पता है -http://www.watconsult.com/

    Like

  4. धीरे धीरे सब होगाजी। प्रेम, शेयर और ब्लागिंग में उपलब्धियां धैर्य च संयम की मांग करती हैं। श्रीलाल शुक्लजी तो बरसों से भारत रत्न हैं, हम जैसे पाठकों के लिए। पद्मभूषण, विभूषण जैसे पुरस्कार छोटे हैं उनके लिए। एक ही पोस्ट में मैडम क्यूरी, श्रीलाल शुक्ल, वाह मनी, गैट रिच स्लोली0सरजी खिचड़ी तो आप ब्लागिंग में भी पकाने लग रहे हैं। पर धांसू च फांसू खिचड़ी है। पकाये रहिये।

    Like

  5. आपका ख़्याल बिल्कुल वाजिब है कि पोस्टें धरातल पर हों और पठनीय हों।

    Like

  6. अंग्रेजी में भयंकर चिरकुटई चलती है। अंग्रेजी और हिंदी के पाठकों में बहुत अंतर है। लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग की संभावनाएं व्यापक हैं।

    Like

  7. “शुक्ला” के स्थान पर शुक्ल लेख अच्छा लगा, आशा है भूल वश नहीं हुआ है. :)आपने बहुत सही लिखा है. हिन्दी वालो को गुणवत्ता पर ध्यान देते रहना है और आरोपो के भय से वास्तविक लेखन को प्रभावित नहीं होने देना है.

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started