अहो रूपम – अहो ध्वनि! (यह मेरी 25 फरवरी 2007 की एक शुरुआती पोस्ट का लिंक है।)
आप रूप का बखान करें या ध्वनि का। विकल्प आपके पास है। इतना समय हो गया, पाठक जस के तस हैं हिन्दी ब्लॉगरी के। वही जो एक दूसरे को रूपम! ध्वनि!! करते रहते हैं।
महाजाल वाले सुरेश चिपलूणकर; उज्जैन के ब्लॉगर हैं। पंगेबाज अरुण (भला करें भगवान उनका; पंगेबाज उपनाम ऐसा जुड़ा है कि अगर केवल अरुण अरोड़ा लिखूं तो अस्सी फीसदी पहचान न पायेंगे कि ये ब्लॉगर हैं या किसी पड़ोसी की बात कर रहा हूं!) इनकी बहुत प्रशंसा कर रहे थे कुछ दिन पहले। निर्गुट ब्लॉगर हैं। लिखते बढ़िया हैं, पर जब राज ठाकरे की तरफदारी करते हैं, तब मामला टेन्सिया जाता है।
सुरेश चिपलूणकर पाठक, टिप्पणी और हिन्दी ब्लॉगरी के बारे में वही कहते हैं जो हम। वे इस विषय में पोस्ट लिखते हैं – एक दूसरे की पीठ खुजा कर धीरे धीरे आगे बढ़ता हिन्दी ब्लॉग जगत।
मित्रों, आपके पास विकल्प नहीं है रूपम और ध्वनि का। आप तो जानवर चुन लें जी जिसके रूप में आपकी प्रशंसा की जाये। हमें तो ग से गधा प्रिय है। क्या सुर है!
आप ज्यादा फोटोजीनिक हों तो ऊंट चुन लें। पर अंतत: प्रशंसा होनी परस्पर ही है।
जय हो रूपम, जय हो ध्वनि।
इससे पहले कि फुरसतिया सुकुल यह आरोप लगायें कि मैं दो चार पैराग्राफ और एक दो फोटो ठेल कर पोस्ट बना छुट्टी पाता हूं, आप यह पॉवर प्वाइण्ट शो डाउनलोड करें। बड़ा अच्छा नसीहत वाला है। मेरे मित्र श्री उपेन्द्र कुमार सिंह जी ने मुझे अंग्रेजी में मेल किया था। मैने उसे हिन्दी में अनुदित किया है और कम किलोबाइट का बनाने को उसका डिजाइन बदला है। आप चित्र पर क्लिक कर डाउनलोड करें। यह बनाने और ठेलने मे मेरे चार-पांच घण्टे लगे हैं!
मैं जानता हूं कि शुक्ल और मैं, दोनो दफ्तरी काम के ओवरलोड से ग्रस्त हैं। इंसीडेण्टली, यह पॉवरप्वाइण्ट ठेलने का ध्येय अ.ब. पुराणिक को टिप्पणी करने का एक टफ असाइनमेण्ट थमाना भी है!
@ जीतेन्द्र चौधरी – जोहो शो तो और भी मस्त निकला! हम तो 100/100 नम्बर बांटने में ही थक जायेंगे!!! बहुत धन्यवाद जी!
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बिना डाउनलोड किए, फुल स्क्रीन मे इधर देखेंhttp://show.zoho.com/public/jitu9968/ArtofIllnessRemoval-ppsतबला नही बजाए हम, क्योंकि हमारा तबले मे हाथ तंग है।
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विविधता का एक और नया आयाम देखने को मिला आज आपके ब्लाग मे। छा गये आप।
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@ रवि रतमलामी -हमने आपका वीडियो टिप्पणियों के नीचे जोड़ दिया है। धन्यवाद।
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पुराणिक जी ने तो 100 नंबरी टिप्पणी ठेल ही दी, पर इसने मुझे भी एक पूरा का पूरा पोस्ट लिखने को मजबूर कर दिया :)यहाँ पर देखें
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स्लाईड शो आपने पहले भी दी है वे भी शानदार रहे और यह भी!!आप स्लाईड शो बनाने मे एक्स्पर्ट हैं इसमें कोई शक़ नही!!बाकी रहा हिंदी ब्लॉगरी में पीठ खुजाने की चिंता तो दर-असल यह टिप्पणियों की चाह है हमारी जो हम इस संदर्भ मे सोचते हैं, पाठक तो द्रुत गति से बढ़ रहे हैं हिंदी ब्लॉग्स के,हां टिप्पणी नही देते अक्सर नॉन ब्लॉगर पाठक!!गधे को आपने चुन लिया, अनुज होने के नाते विकल्प चुनने का अवसर पहले हमे मिलना चाहिए था और हम खुदई गधा ही चुनते पक्का!!
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हम अपनी टिपपणी पर आलोक जी के नाम से कर गये थे,अप अब हमे 100 से ज्यादा नंबर दे दे,..:)
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सुन्दर विचार. लगा ही नहीं की अनुवाद है.
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बहुत अच्छा प्रजेन्टेशन। काफी मेहनत की गयी है भई।वैसे तो इसके लिए अलग पोस्ट बनती थी, पोस्ट के नीचे देने से कंही दब-दबा ना जाए। इसको उभारिए भाई, साइडबार मे डाउनलोड का लिंक दीजिए।
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@ आलोक पुराणिक – अरे गजब! बड़ी जबरदस्त टिप्पणी है। मान गये। 100 में से 100 नम्बर!!!
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