परसों मेरी पोस्ट के पुछल्ले से एक जबरदस्त सिनर्जेटिक (Synergetic – combined synchronous and energetic) काम हुआ। मैने एक पॉवर प्वाइण्ट शो पोस्ट पर प्रस्तुत किया और उसे रवि रतलामी जी ने वीडियो कन्वर्टर के माध्यम से वीडियो बना कर आनन-फानन में पोस्ट की शक्ल दे दी। मैं आपको रिकमण्ड करूंगा कि आप यह पावरप्वाइण्ट का वीडियो कन्वर्टर अपने पीसी पर इन्स्टाल कर लें। मैने कर लिया है। बाकी मजा यू-ट्यूब दे देगा!
उसके पहले घोस्ट-बस्टर जी प्रसन्न हो कर इस पॉवरप्वाइण्ट शो को अपने इष्ट मित्रों को फॉर्वर्ड करने की टिप्पणी कर चुके थे। प्रशंसक जब एनॉनिमस हो तो ऐसा लगता है जैसे तिरुपति देवस्थानम की दान पेटी में बिना नाम के कोई तगड़ी रकम छोड़ जाये!
फिर आये जीतेन्द्र चौधरी । उन्होने तो ऑन-लाइन पॉवर-प्वाइण्ट शो की तकनीक का नजारा दिखा दिया। ज़ोहो शो के माध्यम से इसे सीधे ऑनलाइन दिखाया जा सकता है। उनसे सुराग ले कर मैने काट-छांट कर ज़ोहो ऑन-लाइन शो पुन: बनाया है । इस शो के दायें कोने के बटन से आप फुल स्क्रीन का शो देख सकते हैं और “प्ले” बटन दबा कर चलता शो देख सकते हैं। स्लाइड आगे-पीछे कर भी अवलोकन कर सकते हैं। इस मीडियम साइज में भी स्पष्ट दीखता है। और, बड़े साइज में देखें तो बात ही कुछ और है।
 
और नितिन व्यास जी ने ओपन ऑफिस के इम्प्रेस का प्रयोग करने की सलाह दी है। मेरे कम्प्यूटर पर यह इंस्टॉल नही है। अत: इस पर विशेष नहीं कह सकता। पर मित्रगण ट्राई तो कर ही सकते हैं!
यह है रीयल ब्लॉगर सिनर्जी!!! कि नहीं ?! हम तो सब को 100 में से 100 नम्बर बाँटने में ही थक गये!
चलते चलते पुछल्ला – और फुरसतिया हैं कि सुख के साइड इफेक्ट से ही दुबले हो रहे हैं। जांच आयोग बिठाने की रट लगाये हैं कि 4-5 घण्टे आये कहां से हमारे पास! इत्ती बड़ी जिन्दगी में 4-5 घण्टे भी न निकल सकें आप लोगों की सेवा में! धिक्कार है हमारी ब्लॉगरी को!!! 

@ आलोक पुराणिक – आपने अनूप शुक्ल का पासवर्ड झटका है या उन्होनें आपका!? :)
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आपकी हर पोस्ट एक कमाल है…हर कमाल प्रभाव छोड़ जाता है. बहुत बहुत बधाई…
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बढि़या है। लेकिन खतरनाक भी कम नहीं। जब किसी को अपनी सब बातें सेवा करने के नाम पर ‘जस्टीफ़ाई’ करते देखता हूं तब लगता है अगले के इरादे खतरनाक हैं। :) हर तरफ़ सेवकों के हुजूम हैं। पता ही नहीं चलता और लोग सेवा करके चले जाते हैं। तमाम हैं -देशसेवक, समाजसेवक, हिंदी सेवक , दलित सेवक, महिला सेवक और अब ई ब्लागर सेवक। :)
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आप के चार-पांच घण्टों का श्रम रंग लाया। एक नई पद्यति सामने आ गई। यह प्रोफेशनल प्रेजेण्टेशन के भी काम का है। प्रोजेक्टर के माध्यम से इस का उपयोग वहाँ भी किया जा सके। अनूप जी की टिप्पणी तो वस्तुतः आप के लिए बधाई थी। मैं ने तो यही समझा था। उन की ‘इस्टाईल’ ऐसी ही है बधाई देने की।
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बढि़या है। लेकिन खतरनाक भी कम नहीं। जब किसी को अपनी सब बातें सेवा करने के नाम पर ‘जस्टीफ़ाई’ करते देखता हूं तब लगता है अगले के इरादे खतरनाक हैं। :) हर तरफ़ सेवकों के हुजूम हैं। पता ही नहीं चलता और लोग सेवा करके चले जाते हैं। तमाम हैं -देशसेवक, समाजसेवक, हिंदी सेवक , दलित सेवक, महिला सेवक और अब ई ब्लागर सेवक। :)
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सही है …जमाये रहिये जी ..(आलोक जी की डायरी से)
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बहुत बढिया, पांडे जी, आप की एवं अन्य बलागर-बंधुओं की सिनेर्जी का परिणाम देखने को मिला। और बहुत कुछ सीखा।
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ओपेन ऑफिस तो मुफ्त है डाउनलोड करें और चलायें। यह किसी मामले में एमएस वर्ड से कम नहीं। कोशिश तो करें। लगता है कि विडियो कनवर्टर लिनेक्स पर नहीं चलता :-(
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हम्म,हम तो कृतार्थ हो गये, खास ४-५ घंटे निकाले आपने हम सबके लिये …सुकुल जी की चिन्ता न करें, हम उन्हे बिना दौडे दुबले न होने देंगे :-)आपका “मीथेन गैस हाइड्रेट” पर लेख कब आ रहा है ? अभी कुछ दिन पहले पता चला कि भारत में इस दिशा में कुछ ठोस काम हो रहा है । देखिये निकट भविष्य में कुछ काम का देखने को मिले ।
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जबर्दस्त सिनर्जी। अगर ऐसा ही तालमेल रहा तो फिर तो मौजां ही मौजां
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