हृदय रोगों की चिकित्सा में फूलों का प्रयोग


panj_image श्री पंकज अवधिया का बुधवासरीय अतिथि लेख। फूल और तनाव दूर करने को मैं जोड़ कर देखता था। पर यहां फूल और हृदय रोगों की चिकित्सा को जोड़ रहे हैं अवधिया जी। पिछले सप्ताह एक विवाद (वाकई?) बना था लेख का शीर्षक देने के विषय में। लेख के शीर्षक देने का काम अवधिया जी मुझ पर ही छोड़ देते हैं। पर शीर्षक का क्या; यह मान लें कि एक असामाजिक ब्लॉगर शीर्षक में तो अपना न्यून कोण ही दर्शायेगा!

आप तो लेख पढ़ें:


कुछ वर्षो पहले मै हृदय रोगो की चिकित्सा मे पारंगत पारम्परिक चिकित्सकों के ज्ञान के दस्तावेजीकरण के उद्देश्य से उनसे बातें कर रहा था और रोगोपचार की विधियाँ सीख रहा था। इन पारम्परिक चिकित्सकों ने फूलो की बहुत सी मालाए बना कर रखी थीं। जो भी मरीज आता तो उसे सबसे पहले यह माला पहना दी जाती और फिर चिकित्सा आरम्भ की जाती। मरीजों को कहा जाता कि प्रतिदिन यह माला उनके शरीर पर होनी चाहिये। फूल ताजे होने चाहियें और मरीज को खुद उन्हे तोड़ कर लाना है। फिर माला बनाकर पहनना है। दूसरे दिन माला को पास की नदी मे बहा देना है। उनके पास बहुत तरह के फूलों की मालाएँ थी पर ज्यादातर मरीजों को मौलश्री के फूलों की माला दी जा रही थी। पारम्परिक चिकित्सको ने बताया कि हृदय रोगियो को इस वनस्पति से मित्रता कर लेनी चाहिये। उन्हे इसे अपने हाथो से रोपना चाहिये फिर इसकी देखभाल करनी चाहिये। इसके फूलों को जितना अधिक समय हो सके अपने पास रखना चाहिये। वे मौलश्री की छाल और जड़ के काढ़े का प्रयोग हृदय रोगों की चिकित्सा में करते हैं। छाल और जड़ के प्रयोग के लिये विशेषज्ञता चाहिये। पर फूलों को आम लोग भी उपयोग कर सकते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथ भी मौलश्री के फूलो के इस प्रयोग का वर्णन करते है। यह हमारा सौभाग्य है कि आज भी यह पारम्परिक ज्ञान देश भर के असंख्य हृदय रोगियों को राहत पहुँचा रहा है।FLOWERS3

पता नही हममें से कितने लोग फूलों की सेज पर सोये हैं या सोते हैं पर हृदय रोगों की मुख्य चिकित्सा के दौरान सहायक उपचार के रुप मे मरीजों को फूलों की सेज पर सोने की सलाह पारम्परिक चिकित्सा मे दी जाती है। मध्य भारत के पारम्परिक चिकित्सक नये मरीजों को पहले देशी गुलाब की पंखुडियों पर सोने की सलाह देते हैं। फिर कुछ दिनो बाद हरसिंगार और गेन्दे के फूलों की बारी आती है। बाद मे जासौन और पलाश के फूलों का प्रयोग किया जाता है। जब अर्जुन नामक वनस्पति का प्रयोग हृदय रोगों की चिकित्सा में होता है तो इसके हल्की गन्ध वाले फूलों पर मरीजों को सोने की सलाह दी जाती है। पारम्परिक चिकित्सक मानते हैं कि अर्जुन का बाहरी और आँतरिक प्रयोग मरीजों को कम समय मे अधिक राहत पहुँचाता है।

Amaltaas रोग की जटिल अवस्था में तो रोगी के परिजनों को कहा जाता है कि रात भर जागकर हर घंटे फूलों को बदलें। यह हमारे देश का अनूठा पारम्परिक ज्ञान है। आज दुनिया भर में नाना प्रकार के फूलों का प्रयोग बतौर औषधि होता है। फ्लावर थेरेपी से लेकर फ्लावर रेमेडीज तक का विदेशों मे बोलबाला है। पर फिर भी इस अनूठे ज्ञान की मिसाल कही नही मिलती है।

पारम्परिक चिकित्सक ज्यादातर मामलों मे जंगली फूलों के प्रयोग की बात करते हैं। पिछले सप्ताह मै छत्तीसगढ के वनीय क्षेत्रो में गया तो धवई, कोरिया और कुर्रु नामक वनस्पतियों के फूलों से जंगल महक रहे थे। पारम्परिक चिकित्सक इन्हे एकत्र कर रहे थे। वे रोग की अवस्थानुसार मरीजों को इसे देंगे। किसी को माला दी जायेगी तो किसी को इस पर सोने की सलाह दी जायेगी।

आम लोगों के लिये मौलश्री के अलावा मोगरा, देशी गुलाब, अपराजिता, जासौन आदि के फूल उपयोगी माने जाते हैं। इन्हे आप अपनी वाटिका में लगा सकते हैं। देशी किस्म ले और बिना रासायनिक खाद के उपयोग से इन्हे बडा करें। और फिर फूलों की माला पहनें और अपनों को पहनायें।

हर्बल माला से सम्बन्धित इकोपोर्ट पर शोध आलेख

पंकज अवधिया

© इस लेख पर सर्वाधिकार श्री पंकज अवधिया का है।


कल कथाकार (सूरज प्रकाश) जी ने मेरी एक साल भर पुरानी पोस्ट “किस्सा पांडे सीताराम सूबेदार और मधुकर उपाध्याय” पर टिप्पणी कर कहा – ज्ञान दा, एक अच्‍छी और जरूरी किताब की जानकारी के लिए आभार, क्‍या आपके जरिये मधुकर जी का सम्‍पर्क सूत्र् या ईमेल आइडी मिल सकता है. उनसे सीधे बात करने का सुख उठाना चाहता हूं. सूरज प्रकाश।

मुझे प्रसन्नता है कि कथाकार जी अब स्वस्थ हैं।

श्री मधुकर उपाधाय के बारे में मुझे कुछ मालुम तो नहीं, पर इण्टरनेट पर सर्च से पता चला कि वे आई.टी.वी. ग्रुप के अखबार “आज समाज” के चीफ एडीटर बने थे नवम्बर २००७ में। अधिक तो पत्रकार लोग बता सकते हैं।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

14 thoughts on “हृदय रोगों की चिकित्सा में फूलों का प्रयोग

  1. कोई महीना भर पहले मधुकर जी से मुलाक़ात हुई थी. इसलिए फ़र्स्टहैंड जानकारी यही है कि वे गुड मॉर्निंग इंडिया नाम की मीडिया कंपनी में ग्रुप एडीटर हैं. दिल्ली की यह कंपनी ‘आज समाज’ अख़बार का भी प्रकाशन करती है.

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  2. ज्ञान जी, मधुकर उपाध्याय घूम-घाम कर वापस बीबीसी-हिंदी में आ गये हैं।छात्र जीवन में मैं भी इनका एडिक्ट हुआ करता था। पी टी आई के बाद मुझे इनका पता अब जाकर चला है। सूरज प्रकाश जी बीबीसी से संपर्क कर सकते हैं।

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