भूत-वर्तमान-भविष्य


power of now अनेक ग्रंथ भूत के पछतावे और भविष्य की चिंता की बजाय वर्तमान में जीने की बात कहते हैं। एकहार्ट टॉले की पुस्तक "द पावर ऑफ नाउ" तो एक बहुत सुन्दर पुस्तक है इस विषय पर। दीपक चोपड़ा का इस पुस्तक के बारे में कथन है – "कई सालों से आयी सर्वोत्तम पुस्तकों में से एक। हर वाक्य़ सत्य और शक्ति से ओतप्रोत है।"
पर मित्रों कुछ दिन पहले मुझे ईआईडी पैरी (इण्डिया) लिमिटेड की २००७-०८ की वार्षिक रिपोर्ट मिली। मेरे पास उसके कुछ शेयर हैं। इस रिपोर्ट का शीर्षक है – भविष्य के लिये तैयार। और पहले कुछ पन्नों का अनुवाद है-EID Parry की वार्षिक रपट का मुख पृष्ट

कोई वर्तमान नहीं है। केवल भूत है या भविष्य। आप चाहे जितना बारीकी से समय को छीलें, या तो वह हो चुका है, या होगा। तब वे लोग जो दावा करते हैं कि वे वर्तमान में जीते हैं, किसमें रहते हैं? भूतकाल उन्हें संज्ञाशून्य कर देता है यह विश्वास करने में कि वह अब भी चल रहा है। और वे उसे वर्तमान कहते हैं। हम ईआईडी पैरी में ऐसा नहीं कहते।
समय उड़ रहा है। भविष्य तेजी से भूतकाल बन रहा है। लोग ऐसा आज कह रहे हैं। … ईआईडी पैरी में हम इस पर १७८८ से विश्वास करते आये हैं…
अपने भूतकाल की उपलब्धियों पर विश्राम करना सरल है। यह और भी सरल है कि कोसा जाये भविष्य के अंधकार को। पर हम ईआईडी पैरी में सफलता से भविष्य की ओर आगे बढ़ते हैं…

EID Parry के वार्षिक रपट का एक पन्ना


मैं तय नहीं कर पा रहा कि "द पावर ऑफ नाऊ" को वरीयता दूं या ईआईडी पैरी की रिपोर्ट के आकर्षक वाक्यों को!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

13 thoughts on “भूत-वर्तमान-भविष्य

  1. सपने भविष्य के पुरुशार्थ वर्तमान में, भूत को भूत ही ले जाए तो ठीक

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  2. मुझे तो सभी की बाते अच्छी लगी, वेसे हमे भूत काल से अपनी गल्तियो से सबक लेना चाहिये, वर्तमान मे फ़िर से गल्तियो को ना दोहराया जाये भविष्या खुद वा खुद उज्जवल हो गा

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  3. अज्ञेय ने कहा था मनुष्य क्षणों में जीता है ……जो भी जियें जब भी जियें पूरी जीवन्तता के साथ .भविष्य में तो हम और भी थके हारे रहेंगे ,चुक चुके और बेजान ..आज जियें और अभी ……

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