जी.एफ.टी. समझने का यत्न!


शिवकुमार मिश्र ने ग्रेटर फूल्स थियरी की बात की। मुझे इसके बारे में मालुम नहीं था। लिहाजा, एक फूल की तरह, अपनी अज्ञानता बिन छिपाये, शिव से ही पूछा लिया।

ग्रेटर फूल थियरी, माने अपने से बेहतर मूर्ख जो आपके संदिग्ध निवेश को खरीद लेगा, के मिलने पर विश्वास होना।

fool fool fool

मेरी समझ में अगर एक मूर्ख है जो अपने से ग्रेटर मूर्ख को अपना संदिग्ध निवेश बेच देता है, तो फिर बेचने पर अपना मूर्खत्व समेट अपने घर कैसे जा सकता है? जबकि वह परिभाषानुसार मूर्ख है। वह तो फिर निवेश करेगा ही!

एक मूर्ख अपना मूर्खत्व कब भूल कर निर्वाण पा सकता है?

एक मूर्ख और उसके पैसे में तलाक तय है। और यह देर नहीं, सबेर ही होना है!


खैर; हमें जी.एफ.टी. की याद तब आनी चाहिये जब स्टॉक मार्केट उछाल पर हो।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

20 thoughts on “जी.एफ.टी. समझने का यत्न!

  1. खैर; हमें जी.एफ.टी. की याद तब आनी चाहिये जब स्टॉक मार्केट उछाल पर हो।आपने स्वयं ही बेहतर जवाब दिया है ! लेकिन ये उछाल पर जब होता है तब शेयर मार्केट के चैम्पियन उस समय आदरणीय G Vishwanath जी का फार्मूला अपना लेते हैं ! मान लीजिये सेंसेक्स २१००० था, वो लेवल उछाल का था ! वहाँ बन्दर बेच देने चाहिए थे ! पर २१ हजार के बाद चैम्पियनों ने बहुत जल्दी ३५ हजार तक पहुंचाने का लालीपॉप थमा दिया ! तो यहाँ उछाल का फ़िर से इंतजार करो ! तेजी में ये उछाल के टार्गेट बढ़ते ही जाते हैं ! कभी किसी इन्वेस्टर को मैंने यहाँ से निकलते नही देखा ! और स्पेक्युलेटर की तो आप जाने ही दीजिये ! आप मेरी बात को अन्यथा नही ले मैं हर्षद मेहता के समय से इस दुनिया का साक्षी हूँ ! बहुत थोड़े से लोग हैं कमाने वाले , ज्यादातर को मैंने तो डूबते ही देखा है !

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  2. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा लोग बेवकूफ़ाना हरकत करके पूरी अर्थव्यवस्था का बंटाढार कर दें तो कैपिटलिस्टिक देश में सरकारें सबसे बडी बेवकूफ़ बनकर अन्त में बेल-आऊट पैकेज के जरिये अर्थव्यवस्था को बचाने का प्रयास करती हैं । अमेरिका के शेयर बाजार में लांग टर्म (>२ साल) इंवेस्ट करने का सुनहरा मौका है । पार्टनरशिप करेंगे :-)

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  3. मेरा ज्ञान शून्य है इस मामले में सो मैं इंवेस्ट भी नहीं करता हूं.. हां इस पोस्ट और इस पर आये कमेंट्स से बहुत कुछ सीखने को मिला..

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  4. आदरणीय विश्वनाथ जी से सहमत हूं।मुझे भी इस विषय की बारीकियां पता नही मगर इतना जानता हूं कि सांड ,नही गाय दूध देती है।सांड को कितना भी खिलाओ-पिलाओ वो दुध नही देगा,लात ही मारेगा।

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  5. सामयिक लघु पोस्ट।कल ही rediff.com पर किसी पाठक की टिप्पणी पढ़ी थी।अंग्रेज़ी में लिखी हुई टिप्पणी का अनुवाद पेश है।एक चतुर आदमी ने गाँव जाकर लोगों से कहा कि वह बन्दर खरीदना चाहता है और हर बन्दर के लिए १० रुपये देने के लिए तैयार है।उस गाँव में कई सारे बन्दर थे और गाँववालों ने कुछ ही दिनों में कई बन्दरों को पकड़्कर १० – १० रुपये में इस चतुर आदमी के हाथ बेच दिए।जब बन्दर की सप्प्लाइ कम होने लगी, तो चतुर आदमी ने घोषणा की कि आज से हर बन्दर के लिए २० रुपये देने के लिए तैयार हूँ।लोगों ने अधिक मेहनत करके, यहाँ-वहाँ ढूँढ-ढूँढकर बचे हुए बन्दर भी पकड़कर २० रुपये में बेच दिए। कुछ ही दिनों में उस इलाके में एक भी बन्दर नहीं बचा।तब उस आदमी अचानक हर बन्दर का पचास रुपये कीमत लगाकर कुछ दिनों के लिए गाँव से बाहर चला गया और इस धन्धे को अपने एक सहायक को सुपुर्द कर दिया।सहायक ने अपने मालिक की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर गाँव वालों से कहा कि क्यों न आप लोग हमारे पास के बन्दरों को ३५ रुपये में खरीदकर, उस अमीर आदमी को उसके लौटने पर ५० रुपये में बेचें?गाँव वाले धड़ाधड ३५ रुपये में बन्दर खरीदने लगे और उस अमीर की वापसी का इन्तज़ार में बैठे थे।वह अमीर आदमी ने फ़िर कभी उस गाँव में कदम नहीं रखा।गाँव फ़िर बन्दरों से भर गया।यह है आज की स्टॉक मार्केट की स्थिति।========================इस विषय में मेरा ज्ञान और अनुभव शून्य के बराबर है लेकिन मुझे लगता है की बात कुछ कुछ समझ में आने लगी है।सोचता हूँ की यदि बन्दर के स्थान पर “गाय” होती तो स्थिति भिन्न होती।गाय से दूध मिलता है, बन्दर किस काम का?सोच समझकर अपनी पूँजी लगानी चाहिए।

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  6. @ अरविन्द जी…लक्ष्मी की कृपा उल्लू पर कभी नहीं रही. वे तो उल्लू के ऊपर बैठ जाती हैं. कृपा तो तब हो अगर उल्लू के आस-पास बैठें.

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  7. नहीं ज्ञान जी ,भारतीय वांग्मय साक्षी हैं लाक्स्मी की कृपा उल्लुओं पर ही होती है !

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  8. शायद GFT Theory का फंडा ही यही है कि जब मार्केट उछाल पर हो,तो उसकी याद कभी नहीं आती, ठीक उस भगवान की तरह जिसे सुख के समय कम याद किया जाता है….और जब दुख आता तो हम उसे बार-बार याद करते हैं ।हाय रे GFT :)

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