मेरी पत्नीजी ने कबाड़ से मेरी एक स्क्रैप बुक ढूंढ़ निकाली है। उसमें सन १९९७ की कुछ पंक्तियां भी हैं। यूं देखें तो ब्लॉग भी स्क्रैप बुक ही है। लिहाजा स्क्रैप बुक की चीज स्क्रैप बुक में – आज सवेरा न जागे तो मत कहना घुप्प कोहरा न भागे तो मत कहना दीवारों के कानोंContinue reading “आज सवेरा न जागे तो मत कहना”
