ओबामामानिया


obamania ओबामामानिया (Obamamania) शब्द मुझे रीडर्स डाइजेस्ट के नवम्बर अंक ने सुझाया था। इस अंक में लेख में है कि दुनियां भर के देशों में ओबामा को मेक्केन पर वरीयता हासिल है – लोगों की पसन्दगी में।

ओबामा का जो कथन बार बार आया है – वह आउट सोर्सिंग को ले कर है। उनका कहना है – “मैक्केन से उलट , मैं उन कंपनियों को कर में राहत देना बंद कर दूंगा जो ओवरसीज देशों में रोजगार की आउटसोर्सिन्ग करती हैं। मैं यह राहत उन कंपनियों को दूंगा जो अमेरिका में अच्छे रोजगार उत्पन्न करती हैं।”obama

मुझे नहीं मालुम कि इसका कितना असर भारत छाप देशों पर पड़ेगा। पर यह बढ़िया नहीं लगता। आगे देखें क्या होता है। दो-तीन महीनों में साफ हो जायेगा। वैसे अपना सेन्सेक्स तो आजकल हवा चलते लटकता है। कल भी लटका है। खुलने के बाद सलंग (मालवी शब्द – सतत, एक सीध में) लटका है। पता नहीं ओबामा सेण्टीमेण्ट के चलते है या नहीं? इसको तो जानकार लोग ही बता सकते हैं।

अब पता चलने लगेगा कि दुनियां का ओबामामानिया सही है या नहीं।  


और पुछल्ले की तलाश न करें। यह पोस्ट ही पुछल्ला है


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

32 thoughts on “ओबामामानिया

  1. चिन्‍ता मत कीजिए । ओबामा बहुत जल्‍दी अपने बयान से पल्‍टी मार लेंगे और कहेंगे – मीडिया ने मेरे बयान को तोड-मरोड कर पेश किया है ।’सलंग’ के लिए धन्‍यवाद । आपने अपने ब्‍लाग पर मालवा बसा दिया ।

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  2. एक आदमी नाई के पास बाल कटवाने गया, ओर नाई से बोला भाई मेरे बाल कितने लम्बे है??? नाई बोला बाबुजी अभी आप के सामने पडे होगे खुदी नाप लेना…..अमेरिकन अपने बाप का नही तो हमारा कहा से होगा…. चाहे काला हो या गोरा. प्यार तो अपने देश को ही करेगां, हम् क्यो ज्यादा खुश हो रहै है????

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  3. ओबामामानिया…ठीक ही तो है…..स्वयंभू अगुआ अमेरिका का राष्ट्रपति एक ध्रुवीय विश्व में सामान्य स्थिति में ही बड़ी अहम् भूमिका निभाता है…फ़िर तो अभी दशकों बाद अमेरिका मंदी की चपेट में है…तो उसकी आतंरिक और बाह्य नीति में जो कुछ उनके फायदे के अनुसार परिवर्तन होगा, उसका असर तो सभी विकासशील….और उसके सोपान में खड़े देश भोगेंगे. तब जिसके भाग्य में जो आएगा….उसे लेकर तो चीखेगा ही….सो अभी से चिल्लाकर चीखने के अभ्यास में क्या बुराई. ओबामा जो करेंगे…. सबसे पहले अपने देश अमेरिका के लिए करेंगे फ़िर…शेष कुशल…… की बात सोचेंगे…..वैसे अतिरेक में सोचना भी जायज नहीं है. फ़िर ओबामा कोई भारत के लिए देवदूत नहीं….?? यह तो सभी को दो टूक समझना होगा.

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  4. ओबामा से पहले वाले भी न तो हमारे रिश्तेदार थे न ही मूर्ख थे . जिसमें उनको अपना फायदा दिखेगा वही करेंगे वो .

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  5. ओबामा का स्वागत करता हूँ, यह जानते हुए भी कि वे Outsourcing के खिलाफ हैं और मैं Outsourcing व्यवसाय से जुडा हुआ हूँ।इस संदर्भ में क़रीब एक साल पहले नुक्कड फोरम पर मैंने Outsourcing पर अपने विचार प्रकट किए थे।रुचि हो तो यहाँ पधारिएhttp://tarakash.com/forum/index.php?option=com_content&task=view&id=26&Itemid=39

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  6. क्‍या आउटसोर्सिंग न होने से भारत का टैंलेंट भारत के लि‍ए उपयोगी नहीं रहेगा। यह हैं कि‍ पैकेज बड़ी नहीं मि‍लेगी, पर मेरे कई दोस्‍त बाहर से कमाकर लौंटे हैं मगर अब भारत से बाहर जाने का अवसर ठुकरा देते हैं।

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  7. यहाँ तो बड़ी गम्भीर चर्चा हो रही है गुरूजी! पूरा पढ़ने के बाद मैं तो शिव जी के स्वर में स्वर मिलाकर इतना ही कह पाऊंगा-ओ बाबा…ओ माँ…ओ बाबा माँ…ओबामा :)

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