कल रविवार को मुम्बई में देश के लिये दौड़ का आयोजन किया गया है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से नारीमन हाउस तक फिल्मी सितारे और ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट्स इस दौड़ में भाग लेंगे। उसके बाद ताज होटल – ओबेराय होटल – नारीमन हाउस और गेटवे के चारों ओर मानव चेन बना कर “हम होंगे कामयाब” का सामुहिक गायन होगा। हर आदमी-औरत-बच्चा अपने हाथ में भारत का झण्डा लिये होगा। सभी साम्प्रदायिक सद्भाव की शपथ लेंगे।
उसके बाद अगले रविवार को वागा सीमा पर भारत और पाकिस्तान के मशहूर बुद्धिजीवी, कलाकार और सिने हस्तियां इकठ्ठा होंगे और अमन चैन के लिये मोमबत्तियां जलायेंगे।
बहुत सम्भव है इन दोनो कार्यक्रमों को कमर्शियल चैनलों द्वारा लाइव टेलीकास्ट किया जाये। उसके लिये विज्ञापनदाता लाइन लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि क्रिकेट नहीं टेलीकास्ट हो रहा तो विज्ञापनदाता इन ईवेण्ट्स पर नजर लगाये हैं।
भारत में जो हताशा और मायूसी का माहौल मुम्बई की दुखद घटनाओं के कारण चल रहा है; उसे सुधारने की यह ईमानदार और सार्थक पहल कही जायेगी। लोगों का ध्यान आतंक, खून, विस्फोट, परस्पर दोषारोपण और देश की साझा विरासत पर संदेह से हटा कर रचनात्मक कार्यों की ओर मोड़ने के लिये एक महत्वपूर्ण धर्मनिरपेक्ष कोर ग्रुप (इफभैफ्ट – IFBHAFT – Intellectuals for Bringing Harmony and Fighting Terror) ने यह निर्णय किये। यह ग्रुप आज दोपहर तक टीवी प्रसारण में अपनी रणनीति स्पष्ट करेगा। इस कोर ग्रुप के अनुसार उसे व्यापक जन समर्थन के ई-मेल मिल रहे हैं।
मैं तो यह स्कूप दे रहा हूं। बाकी; ऑफीशियल अनॉउन्समेण्ट्स की आप प्रतीक्षा करें। एक कार्यक्रम बापू की समाधि राजघाट पर भी आयोजित होने की सम्भावना है; जिससे दिल्ली की जनता भी अपनी देश भक्ति को अभिव्यक्ति दे सके।
(नोट – यह विशुद्ध सटायर है। इस पर विश्वास आप अपनी शर्तों पर करें।)

हम कर भी क्या सकते हैं मोमबत्ती जलाने के सिवाय्।उनसे पूछिये क्या गुज़र रही उनपर जो अपने परिजनो के शव का दाह-संस्कार कर रहे हैं।
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हमे तो सपने में भी यकीन नहीं आएगा, आप फिक्र न करें। ;)वैसे आप एकाध आवश्यक बातें डालना भूल गए हैं जैसे कि पाकिस्तानी सरकार और हुक्मरानों ने शपथ ली है कि मानवता के दुश्मन व्यापारिक रूप से ऊभर आए आतंकवादी संगठनों को अपनी ज़मीन से तड़ीपार कर वे लोग आतंक विरोधी अभियान के हाथ मज़बूत करेंगे!! ;) :D
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समय आ गया है कि आतंक के गढ पर हमला करते हुए इस रोज रोज की आतंकवादी गतिविधियों से छुटकारा पाया जाय, वरना ये इंटेलेक्चुअल्स सिर्फ मोमबत्ती जलाने के लिये फेर में पडे होंगे और उधर जनता मशालों की आग में झुलस रही होगी। आप इसे काल्पनिक सटायर कह रहे होंगे लेकिन हकीकत में यह सब शुरू भी हो चुका है, कल एक एफ एम चैनल पर कोई RJ कह रही थी कि आज आप लोग अपने घर की खिडकियों पर मोमबत्ती जलायें….सुनकर लगा कि हमारी इन्हीं तरह की हरकतों से तो आतंकवादी खुश होते हैं, ऐसे समय जब कि आपसी एकता की मशाल जलाने की जरूरत है, ये मौहतरमा कह रही है कि मोमबत्ती जलाओ ….उफ्फ..जानें कब तक चलेगा यह सब।
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आप सटायर नही भी लिखते तो भी मैं यही समझता की ये मज़ाक ही है… ओर मज़ाक ही तो हो रहा है अब हमारे साथ
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क्या हम वही भारत हैं ? जिसने बंगलादेश को मुक्त कराया था ! आज अपनी आजादी बचाने के लिए मोमबत्तीया जला रहे हैं ? कोई ये ना समझे की हम आजाद हैं ! हमारी आजादी दो कौडी की है ! चाहे जब कोई आंतकवादी आकर हमारी आजादी छीन सकता है , चाहे जब कोई राज ठाकरे एक भारतीय को मुम्बई छोड़ने का फतवा दे सकता है ! हम कौन सी गली में आजाद हैं ? हम अपने देश में और खासकर मुम्बई में ठाकरे साहब की कृपा से रहते हैं ! मुझे लगता है की आतंकवादियों ने भी ठाकरे से परमिशन ली होगी वरना बिना उनकी परमिशन के वो मुम्बई में ठहरा कैसे ? जांच कमीशन के लिए एक अहम् बिन्दु होना चाहिए ! अगर अब भी कुछ ठोस ना किया गया तो आने वाली पीढी हमें माफ़ नही करेगी ! हम बात अमेरिका की करते हैं ! ९/११ की मिसाल देते हैं ! क्या आपके पास जज्बा है की आप ताऊ बुश की तरह सैन्य कार्यवाही कर सके ? आपके घर से सट कर आजादी के दुश्मन बैठे है जब की अमेरिका ने अपने वतन से दूर दुश्मनों को उनके घर में जाकर मारा ! ताऊ बुश भी जानते थे की इस कार्यवाही के रानीतिक अंजाम अच्छे नही होंगे ! पर उन्होंने अपने वतन की आजादी के आगे राजनैतिक स्वार्थ त्याग दिए ! अभी तो उनकी टर्म ही चल रही है , उनकी पार्टी चुनाव हार गई है ! अमेरीकी जनता उनसे नाराज है ! लेकिन उनकी प्रसंशा की आवाजे आना शुरू भी हो गई हैं ! हमारे यहाँ तो पी.एम. ही महारानी एलिजाबेथ की तरह प्रतीकात्मक है ! गृहमंत्री पता नही, है भी या नही ?केन्द्रीय सरकार को शर्म भी नही है ? सिर्फ़ जोड़ तोड़ .. जा..लाल निशाँ .. आजा अमरसिंह … के अलावा क्या काम है उनको ? धिक्कार है ऐसा सता सुख भोगने के लिए ! और बात कर रहे हैं अमेरीका की और हम पर हमला हुआ है का अनर्गल प्रलाप करने की ! अनगल प्रलापो से देश नही चला करते ! शासन कठोर हुए बिना नही चलते ! कुछ ग़लत भी होता है जो गेंहू में घुन सरीखा काम होता है ! पोटा हटा दिया सिर्फ़ छिद्र होने की वजह से ! कहाँ नही है छिद्र ? आपकी पूरी छाती में छिद्र ही छिद्र हैं ! इसलिए आपके सीने के हर छिद्र में रोज ये कमीने आकर गोलीयां भोंकते हैं और आप अनर्गल प्रलाप करते हैं ! जरुर पोटा हटाईये ! क्या जरुरत है ? आपको तो चुनाव जीतना है ! जीतीये ! देश की आपको क्या ? यहाँ से लूट का माल स्विस बैंको में भेजते रहिये ! लोग युद्ध और ना जाने क्या क्या अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं ! क्या यही आपका युद्ध है ? क्या मोमबती युद्ध ही लडेंगे आप ? लड़िये ! आपकी आजादी भी मोमबती जितनी ही होगी ! मैं शहीद मेजर संदीप एवं अन्य सभी शहीदों को उनकी शहादत को प्रणाम करते हुए श्रद्धांजली स्वरुप कहना चाहूँगा की ” ऐ शहीद वीरो मैं आपको नमन करता हूँ ! आप जैसे वीरो ने मुझ नपुंसक के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए ! पर मैं आपके द्वारा दी गई आजादी को मोमबती मार्च करके सुरक्षित रखूंगा ! और इस कार्यवाही को ” भारत पर हमला मान कर शान्ति मार्च निकालने का वचन देता हूँ ! क्योंकि मैं शोक व्यक्त करने के अलावा गाल बजा सकता हूँ ! भले आपने दुश्मन की खोपडी बजाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए हों ! समस्त शहीदों को सादर नमन ! अभी अभी टी.वी. पर न्यूज देखी की शहीद हेमंत करकरे की शवयात्रा में राज ठाकरे शामिल हुए ! अभी तो पहला ही दिन नही हुआ है और बिल से बाहर !
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ज्ञान जी, मैं अरविन्द जी की बातों से बिलकुल सहमत हूँ. अब समय है कि पूरी शक्ति से भारतीय सेना को पाकिस्तान के ऊपर आक्रमण कर देना चाहिए.
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अब लोगों को सकते से उबारने(?) [या उनका ध्यान दूसरी ओर बँटाने] के लिये कुछ न कुछ तो करना ही होगा। छीछालेदर से बचने के लिये लीपापोती करना ही होता है।
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इन प्रयासों की बहुत जरूरत है, समूचे देश भर में। आतंकवाद के दंशों को विस्मृत करने के लिए नहीं अपितु उन्हें लगातार स्मरण करते रहने, उस के विरुद्ध युद्ध में जनता को सतत रत रहने के लिए। जब जनता किसी के विरुद्ध सतत युद्ध में होगी तो सरकार, सेना और पुलिस और मुस्तैदी से काम करेगी। हमें सरकार को भी सदैव मोर्चे पर रखना होगा। उस का यही एक तरीका है।
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हम और क्या करें अमन चैन के लिए – मोमबत्तियां तो जला ही सकते हैं .अब हमें भी इन सारी बातों पर लिखना बंद कर देना चाहिए. हमारा लेखन भी अब ऐसे कृत्यों के लिए विज्ञापन जैसा ही हो चला है . क्या हमारी निवृत्ति नहीं हो जा रही बस लिख-लिख कर ? मुक्तिवाहिनी की जरूरत तो है ही – तन से मन तक, घर से सरहद तक , वचन से कर्म तक.
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म फिर नपुंसक कारनामों पर उतर रहे है ज्ञान जी यह समय है कश्मीरी आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों पर बिना समय गवाए पूरी शक्ति के साथ सैन्य कार्यवाही का ! एक मुक्तिवाहनी सेना के हस्तक्षेप की !
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