एकोऽहम् (विष्णु बैरागी जी का ब्लॉग) की फीड गूगल रीडर अपडेट नहीं कर रहा। अन्तिम प्राप्त फीड अक्तूबर के महीने की है। कुछ अन्य ब्लॉग भी हैं जो फीडरीडर में अपडेट नहीं हो रहे। गूगल रीडर इस फीड में पार्सिंग गलती (parsing error) बताता है। हमारे यत्न, जो कई अन्य फीडरीडर्स में इस ब्लॉग की फीड लेकर देखने के थे, नाकामयाब रहे।
विष्णु बैरागी जी से ई-मेल पर सम्पर्क किया तो बड़ा बढ़िया जवाब मिला –
“मेरी बात पर हंसिएगा नहीं । यह ‘फीड’ क्या होती है, मैं अब तक नहीं जान पाया।”
उन्होंने यह जरूर कन्फर्म किया कि ब्लॉगस्पॉट की Setting>Site Feed>Allow Blog Feed में फीड सेटिंग “फुल” पर रखी हुई है।
मेरे अपने फीडरीडर के ब्लॉगर बन्धु हैं – और हिन्दी ब्लॉगजगत में १६० से ऊपर हैं। उनके ब्लॉग मैं गूगल फीड रीडर से नियमित पढ़ता हूं और अधिकांश पर टिप्पणी भी करता हूं। ऐसे में एकोऽहम् की फीड न मिलना मुझे बेचैन कर रहा था।
कल चिठ्ठाजगत वाले आलोक ९२११ जी ने मुझे जुगाड़ छाप समाधान बताया। उन्होने कहा कि चिठ्ठाजगत में मैं बैरागी जी का ब्लॉग मेरी पसन्द में डाल कर मेरी पसन्द की फीड अपने फीडरीडर में सहेज लूं। और वाह! काम कर गया जुगाड़!
अब एक फीड समस्या जो फुरसतिया सुकुल को सुलझानी है, वह है, अपने ब्लॉग की फुल फीड यत्र-तत्र-सर्वत्र उपलब्ध कराना। उनका ब्लॉग कई बार मेरे फीडरीडर में अपडेट नहीं होता। और तो और वह चिठ्ठाजगत में ९ दिसम्बर के बाद अपडेट नहीं हुआ। जबकि उन्होंने करीब ५ नैनीतालीय पोस्टें उसके बाद ठेली हैं।
आलोक ९२११ का कथन है फुरसतिया के ब्लॉग का तकनीकी जन्तर ई-स्वामी के जिम्मे है। ई-स्वामी शायद क्रिसमसीयावकाश पर हैं। ![]()
चलो, चिठ्ठाचर्चा वाले चिठ्ठा की चर्चा करते हैं। एक बार हमने फीडचर्चा कर ली तो क्या गुनाह हुआ! ![]()
वैसे यह एक ब्लॉगर के व्यक्तिगत हित में नहीं है क्या, कि उसके ब्लॉग की आर.एस.एस. या फीडबर्नर से फीड सर्वदा पाठक को मिलती रहे, और समय समय पर वह इसकी जांच करता रहे। पर विष्णु बैरागी जी जैसे का क्या होगा, जिन्हें मालुम नहीं कि फीड बला क्या है!

हा चिट्ठा जगत सही उपाय है… वैसे ब्लॉग के नीचे जाकर Post(ATOM) पे क्लिक करके भी फीड का लिंक लिया जा सकता है.. और ब्लॉग फॉलोवर का ऑप्षन भी बहुत बढ़िया है…
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फीड के मसले टेकनीकल हैं. समझ लें, तब कमेटेंगे।
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नमस्कार।आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि विज्ञान और प्रौद्यौगिकी के प्रचार प्रसार एवं इससे जुडे ब्लॉगर्स के अधिकारों के संरक्षण के लिए ‘साइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ का गठन किया गया है।यह संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार को बढावा देने वाले लोगों के हितों के संरक्षण का कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त विज्ञान संचार के लिए आम जन को प्रेरित करने, इंटरनेट पर हिन्दी ब्लॉग लेखन को बढावा देने, ब्लॉग निर्माण सम्बंधी तकनीकी जानकारियां आम जन तक पहुंचाने, ब्लॉगर्स की तकनीकी / व्यवहारिक समस्याओं को सुलझाने का भी कार्य करेगी।आपके इस दिशा में किये गये महती कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए संस्था आपको ‘साइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की मानद सदस्यता प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त संस्था आपको कानूनी सलाहकार के पद पर विभूषित करने की आकांक्षी है। यदि आप इससे जुडने हेतु सहमति प्रदान करें, तो हमें अति प्रसन्नता होगी।आपका प्रोत्साहन हमारे विश्वास को नया बल प्रदान करेगा।सादर,जाकिर अली ‘रजनीश’सचिवसाइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडियाsciblogindia@gmail.com
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इस मामले मे अपना भी वही है हाल्।आगे पाठ, पीछे सपाट,गुरूजी ने बोला सोलह दूनी आठ्।
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बात कुछ वर्ष पहले की है, जब जितूभाई को पोस्ट लिखनी पड़ी थी की यह आर.एस.एस. फीड क्या होता है. लगता नहीं था की उसको आज फिर से ठेलने की जरूरत है. मगर आपने लिख कर देता दिया है कि नये आने वालों को अभी भी इसकी जरूरत है. अच्छी, उपयोगी पोस्ट.
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हमें अभी तक ऐसी कोई समस्या नहीं आयी है किसी ब्लौग से.. :)आपकी फीड भी बराबर मिल रही है..
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ज्ञानदत्त जी,आपने यह बहुत अच्छा लिखा हैः”वैसे यह एक ब्लॉगर के व्यक्तिगत हित में नहीं है क्या, कि उसके ब्लॉग की आर.एस.एस. या फीडबर्नर से फीड सर्वदा पाठक को मिलती रहे, और समय समय पर वह इसकी जांच करता रहे।”ऐसा होना तो अत्यन्त हितकारी है।
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ज्ञान जी!! जिस परेशानी का जिक्र आपने किया , उसके बारे में मई कल से सोच रहा हूँ!! क्योंकि प्राईमरी का मास्टर भी पिछले ४ दिनों से अपडेट नहीं हो रहा है!!क्या कारन और निवारण हो सकता है !!!कोई बता सकता है!!सारी पुरानी ही दिखा रहा है!!! फीड्स
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सर जी, ये फीड वाला आइटम बहुत पहले आपने जितना बताया था उतना ही जान पाया था। प्रयोग छूटने के बाद वह भी दिमाग के थैले से सरक गया।अब हालत यह है कि rss, atom, feedburner, तुरन्त छापो बटन, blog link आदि चिन्हों को देखकर अपने कर्सर को इस प्रकार बचा कर निकाल ले जाता हूँ जैसे स्कूटर चलाते समय बीच राह में खड़े साँड़ या दूसरे जानवरों को बचाकर निकलने का प्रयास करता हूँ। दरअसल इनकी गणित को आखिरी सिरे तक हल न कर पाने की वजह से कई बार फँस चुका हूँ।‘विण्डोज लाइव राइटर’ के प्रयोग में भारी असफलता मुझे जरूर सालती रहती है। अपनी पोस्ट में कोई बॉक्स आइटम घुसेड़ने की इच्छा दबी रह जा रही है। कोई विशेषज्ञ सहायता करे तो कृपा होगी।तो वैरागी जी को झेंपने की जरूरत कतई नहीं है। ज्यादातर जनता उन्हीं की नाव में बैठी है।
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ये फीड को हमारे भी बस की नहीं। हम तो ये समझते हैं जो कुछ हमारे यहाँ उपजता है वह पका पकाया लोगों को मिलता रहे। फीड बर्नर पर पकाया है और आरएसएस में भी। ईमेल से प्राप्त करने वालों को कभी तुरंत और कभी 12-15 घंटे लेट मिल जाता है। इस मामले की कोई ब्लाग पर ही तकनीकी क्लास ले ले तो अच्छा, वह मेरे और बैरागी जी तक को समझ आ जाए ऐसी हो।
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