मेरी पत्नी होली विषयक अनिवार्य खरीददारी करने कटरा गई थीं। आ कर बताया कि इस समय बाजार जाने में ठीक नहीं है। बेतहाशा भीड़ है। मैने यह पूछा कि क्या मन्दी का कुछ असर देखने को नहीं मिलता? उत्तर नकारात्मक था।
मेरा संस्थान (रेलवे) बाजार से इन्सुलर नहीं है और मन्दी के तनाव किसी न किसी प्रकार अनुभूत हो ही रहे हैं।
शायद इलाहाबाद औद्योगिक नहीं सरकारी नौकरों की तनख्वाह और निकट के ग्रामीणों के पैसे पर निर्भर शहर है और यहां मन्दी का खास असर न हो। पर बीबीसी हिन्दी की साइट पर नौकरियां जाने की पीड़ा को ले कर धारावाहिक कथायें पढ़ने को मिल रही हैं। मुझे अहसास है कि हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। होली के रंग बहुत चटख नहीं होंगे।
श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी ने अपने बीपीओ/केपीओ वाले बिजनेस को समेटने/बेचने और उसी में तनख्वाह पर परामर्शदाता बनने की बात अपनी टिप्पणी में लिखी थी। वे रिलीव्ड महसूस कर रहे थे (उनके शब्द – “The feeling is more of relief than sadness or loss”)। पर उनकी टिप्पणी से यह भी लगता है कि व्यापक परिवर्तन हो रहे हैं और भारत भी अछूता नहीं है। भूमण्डलीकरण से अचानक हम इन्सुलर होने और कृषि आर्धारित अर्थव्यवस्था के गुण गाने लगे हैं। यह भी हकीकत है कि कृषि अपेक्षित विकास दर नहीं दे सकती। मन्दी के झटके तो झेलने ही पड़ेंगे।
सरकारी कर्मचारी होने के नाते मुझे नौकरी जाने की असुरक्षा नहीं है। उल्टे कई सालों बाद सरकारी नौकरी होना सुकूनदायक लग रहा है। पर मेरा संस्थान (रेलवे) बाजार से इन्सुलर नहीं है और मन्दी के तनाव किसी न किसी प्रकार अनुभूत हो ही रहे हैं।
यह मालुम नहीं कितनी लम्बी चलेगी या कितनी गहरी होगी यह मन्दी। पर हिन्दी ब्लॉगजगत में न तो इसकी खास चर्चा देखने में आती है और (सिवाय सेन्सेक्स की चाल की बात के) न ही प्रभाव दिखाई पड़ते हैं। शायद हम ब्लॉगर लोग संतुष्ट और अघाये लोग हैं।
इस दशा में बीबीसी हिन्दी का धारावाहिक मुझे बहुत अपनी ओर खींचता है।
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मेरी अम्मा होली की तैयारी में आलू के पापड़ बनाने में लगी हैं। गुझिया/मठरी निर्माण अनुष्ठान भी आजकल में होगा – मां-पत्नी के ज्वाइण्ट वेंचर से।
आपको होली मुबारक।
पिछली पोस्ट – एक गृहणी की कलम से देखें।

मेरी अम्मा होली की तैयारी में आलू के पापड़ बनाने में लगी हैं। गुझिया/मठरी निर्माण अनुष्ठान भी आजकल में होगा – मां-पत्नी के ज्वाइण्ट वेंचर से। आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।regards
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ज्ञानजी, इस मंदी और मेरे व्यवसाय पर असर के बारे में लिखना आरंभ किया था पर व्यस्तता के कारण रुक गया। इस विषय पर अवश्य लिखना चाहता हूँ। थोड़ा और समय चाहता हूँ। आप सब को होली की शुभकामाएं
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अख़बारों में जो खबरें आ रही हैं उनके अतिरिक्त हमें तो कहीं कुछ नहीं दिख रहा. कीमतें भर बढती जा रहीं हैं. होली की शुभकामनायें.
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न मंदी न मण्डी -सब कुछ ऐसयीच ही हैं इंडियन मा !
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हालांकि मंदी की मार से हम जैसे बचे हुए हैं, लेकिन अपने काम्प्लेक्स में ही देखा है लोगों को नज़रें झुका कर घूमते …. इतनी दूर भी नहीं है ये हम से ……बहरहाल …… होली मुबारक़ हो …. आप को और आप के परिवार को !!
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भारत में नहीं है मंदी … होली की ढेरो शुभकामनाएं।
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आपको होली की बहुत शुभकामनाये.इस पर्व के जोश पर मन्दी का कभी असर न हो.
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मंदी कहां है मंदी.. मैं भी यही सोचता हूँ…जॉइन्ट वेंचर की मीठाई सहित “होली की ढेरो शुभकामनाऐं..”
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होली के पकवान जोइंट वेंचर के माध्यम से . साधू साधू .
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आपको, आपके परिवार को, वरिष्ठजनों को, होली पर्व की शुभकामनायें
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