इलाहाबाद में ब्लॉगिंग पर गोष्ठी हुई। युवा लोगों द्वारा बड़ा ही प्रोफेशनली मैनेज्ड कार्यक्रम। गड़बड़ सिर्फ हम नॉट सो यंग लोगों ने अपने माइक-मोह से की। माइक मोह बहुत गलत टाइप का मोह है। माइक आपको अचानक सर्वज्ञ होने का सम्मोहन करता है। आपको अच्छे भले आदमी को कचरा करवाना है तो उसे एक माइक थमा दें। वह गरीब तो डिरेलमेण्ट के लिये तैयार बैठा है। जो कुछ उसके मन में पका, अधपका ज्ञान है – सब ठेल देगा। ज्यादा वाह वाह कर दी तो एक आध गजल – गीत – भजन भी सुना जायेगा।
ब्लॉगिंग को उत्सुक बहुत युवा दिखे। यह दुखद है कि वे मेरे ठस दिमाग का मोनोलॉग झेलते रहे। यह मोनोलॉग न हो, इसके लिये लगता है कि हफ्ते में एक दिन उनमें से ५-७ उत्सुक लोग किसी चाय की दुकान पर इकठ्ठा हों। वहां हम सारी अफसरी छोड़-छाड़, प्रेम से बात कर पायें उनसे। ऑफकोर्स कट चाय और एक समोसे का खर्चा उन्हें करना होगा।

बहुत अच्छा लगा सचित्र रीपोर्ट देखकर – आभार !
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@ Tiwarijiinternet par hindi anuprayog vishay par jab bhi kisi shrotavarg ke samne baat hogi to vahi baat hogi, aisa nahin hai ki aadhe anuprayog ek seminar mein bataye jayein va shesh aadhe doosre kisi karyakram mein.keval ek maien hi nahin koi bhi vakta yadi hindi anuprayog ki vartmaan sthiti par baat karega, to ye sab baat hi aayengi.ab aap use 10 baar sunein ya 1 baar. yah aap ka durbhagya tha ki aap ne ek hi din mein 2 alag alag sansthaon ke karyakram mein ek hi vakta ko suna.
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आपने कहाँ तो बिलकुल सही मगर एक बात कहना चाहूँगा की जब जब ब्लॉग्गिंग पर कहाँ जा रहा था तब तब तो हमें कोई दिक्कत नहीं हुई थी मगर कुछ मिनट ऐसे भी रहे जब ब्लॉग्गिंग को छोड़ कर पता नहीं क्या क्या कहाँ गया तब तो ऐसी ऊब लगी की क्या कहें आपने जो स्लाइड आगे सरका दिए उनका मलाल हुआ और ज्यादा क्या कहे बाकी तो सफल आयोजन था जैसा की ब्लॉग्गिंग में भी होता रहा है सुनने वाले कम मिले (शायद मुझे ऐसा लगता है)मुझे तो बिलकुल भी नहीं लगा की किसी ब्लॉगर द्वारा माइक का अनुचित फायदा उठाया गया आपसे शिकायत है की आपने जल्दी जल्दी में निपटा दिया इमरान ने भी अच्छा सञ्चालन किया जब ब्लॉग्गिंग का परिचय दिया गया तब ये जरूरी था की ब्लॉग बनाने की प्रक्रिया की भी स्लाइड बना कर दिखाई जाये जिसकी कमी खली मुख्य अतिथी जी ने जब ब्लोगिंग पर बोलना शुरू किया वो पल यादगार है क्योकि मैंने तो कल्पना नहीं की थी की वो भी एक ब्लॉगर हैं ऐसा आयोजन बार बार हो इस कामना के साथ आपका वीनस केसरीऔर हाँ अगर आप से मुलाकात का सौभाग्य फिर मिलने का मौका मिले तो उसके लिए कट चाय तो क्या जो आप कहे सब हाजिर करने के लिए तैयार है हम
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“ऑफकोर्स कट चाय और एक समोसे का खर्चा उन्हें करना होगा। ” हां भई, गुरुदक्षिणा तो देना ही पडे़गा ना :)
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बहुत बढ़िया प्रस्ताव है. हमारे लिए तो चाय की दुकान ही ठीक रहेगी. माइक के आगे तो मुझे जो आता है वह सब भूल जाता है.
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सत्य वचन.हाय माइक ने हवा से भर दिया, वरना वह भी आदमी कमज़ोर था.(स्वर्गीय काका हाथरसी से क्षमा याचना के साथ)
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aur sir kabhee dilli mein ee bloggers kee addebaajee karnee ho to hamein maukaa dijiyegaa, ham lassi kaa intjaam rakhenge…..garmee mein theek rahgaa..
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बिना माइक बिना फूल बिना मुख्य अतिथि के कोई गोष्ठी हो तो आना चाहूँगा .
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आनंद दायक रहा सभी से मिलना, मेरे लिये सबसे खास बात ये रही कि एक महिला जो ब्लागर लग रही थी। उन्होने मुझसे कहा कि तुम अब तक कहाँ थे ? और व्यक्तिगत लघु बात हुई, पर मै उन्हे पहचान नही सका। करीब 2-3 मिनट बाद ने सहृदय से विनम्रता के साथ क्षमा प्राथी हो कर पूछा कि मै आपको पहचान नही पाया तो किसी ने बताया कि मिसेज पांडेय है, फिर थोड़ा और चर्चा हुई। दो बार घर जहाँ हुआ पर उनसे ऐसे ही मिलना तय लिखा था। एक लघु मिलन में उनकी एक अच्छी छवि स्मृति पटल पर बनी हुई है।
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बहुत बढिया आईडिया है. चाय और समोसे के साथ.रामराम.
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