देर आये, दुरुस्त आये?!

यह जो हो रहा है, केवल मीडिया के दबाव से संभव हुआ है। और बहुत कम अवसर हैं जिनमें मीडिया का प्रशस्ति गायन का मन होता है।

यह उन्ही विरल अवसरों में से एक है। मीडिया का दबाव न होता तो राठौड़ जी आज प्रसन्नवदन होते। शायद अन्तत वे बरी हो जायें – और शायद यह भी हो कि वे वस्तुत: बेदाग हों। पर जो सन्देश जा रहा है कि लड़कियों/नारियों का यौन-उत्पीड़न स्वीकार्य नहीं होगा, वह शुभ है।

अपने आस पास इस तरह के कई मामले दबी जुबान में सुनने में आते हैं। वह सब कम हो – यही आशा बनती है।

फुट नोट: मैं यह लिख इस लिये रहा हूं कि कोई शक्तिशाली असुर किसी निर्बल का उत्पीड़न कर उसे आत्महत्या पर विवश कर दे – यह मुझे बहुत जघन्य लगता है। समूह या समाज भी कभी ऐसा करता है। कई समूह नारी को या अन्य धर्मावलम्बियों/विचारधारा वालों को दबाने और उन्हे जबरी मनमाना कराने की कोशिश करते हैं। वह सब आसुरिक वृत्ति है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

24 thoughts on “देर आये, दुरुस्त आये?!

  1. मीडिया की शक्ति अपार है। किन्तु साथ में दायित्व भी। जब भी अपार शक्ति होती है तो उसका दुरुपयोग न हो इसका ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। मीडिया को केवल विषय को सामने लाना चाहिए। किसी को अपराधी घोषित नहीं करना चाहिए। यह काम न्यायालय का ही है और रहेगा। उसे केवल लोगों को सजग बनाना चाहिए और किसी बड़े अपराध को ठंडे बस्ते में डालने से रोकना चाहिए। यदि हमारा मीडिया सजग हो जाएगा तो शायद देर सबेर नागरिक भी जाग ही जाएँ।घुघूती बासूती

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  2. मीडिया ने अपना काम किया और कोर्ट ने अपना पर ये पुलीस अपना काम क्यूं नही कर रही ?

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  3. मिडिया के दबाब का दुष्परिणाम का नज़ारा भी लिजिये निठारी कांड में पंधेर को उस मुक्कदमे मे फ़ांसी हुई जिसमे वह शामिल नही था . और विदेश मे था . बाद मे वह बरी हो गया और इस चक्कर में असली अपराधी उसके नौकर की फ़ांसी सुप्रीम कोर्ट मे लटक गयी

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  4. अंग्रेजी में कहवत है…"To err is Human" इस बार उसको बदल देते हैं…"To err is Media"काश मिडिया ऐसी गलतियाँ हमेशा करता रहे.नीरज

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  5. हम अगोर रहे हैं कि कब 'नई दिल्ली नार्यारि' गिरफ्तार होंगे !ई मीडिया बहुत सेलेक्टिव है। बहुत ही रिफाइंड टेस्ट है इसका !

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