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चिठ्ठाचर्चा डॉट फलाना : असली और मोस्ट हाइटेक! उत्कृष्टता की एक मात्र दावेदार दुकान!!
:-) :-(
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
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What is this issue?I could not understand anything.
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सरसेल्यूट करता हूँइस आदर में ऐसा कोई अन्य भाव नहीं जिसे चाटुकारिता कहा जावेबार बार नतमस्तक आभार
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आप व्यंग्य भी बढ़िया लिख लेते हैं …पहली बार जाना ….!!
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:-) BRAVO !!
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वाह वाह, असली और खालिस दुकान, नोट: टूटे हुये कीबोर्ड का लोगो देखकर ही खरीदेंसस्ता चर्चा बार बार, सच्चा चर्चा एक बार,नकल हमेशा होती है बराबरी कभी नहीं।नक्कालों से सावधान,हमारा चिट्ठाचर्चा पढने वालों की बात ही कुछ और है।दमदार चिट्ठाचर्चा की कसम आसमां को छुऐंगे हम।स्वदेशी चिट्ठाचर्चा: यहाँ खालिस हिन्दुस्तानी चिट्ठों की चर्चा होती है।सेकुलर चिट्ठाचर्चा:नोट: हमारे यहाँ विदेशी हिन्दी चिट्ठे किफ़ायती दाम पर उपलब्ध हैं।ग्राहक का समय व्यर्थ करना हमारा परम कर्तव्य है।बाटम लाईन:मैं चिट्ठाचर्चा डोमेन को किसी और के द्वारा रजिस्टर कराना गलत नहीं मानता। मैं किसी की नीयत पर भी शक नहीं करता। हिन्दी चिट्ठाकारिता को पवित्र गऊ नहीं बनाना चाहिये जिसकी बात सब करें और वो सडक पर प्लास्टिक खाती फ़िरे। उससे तो विशुद्ध दुधारू भैंस ही भली है।याद है आपको कुछ महीनो पहले कुछ ब्लाग प्रहरी आये थे कि हम ये करेंगे वो करेंगे। कहाँ हैं वो लोग? नाम से क्या होता है? अगर अच्छी चर्चा करेंगे तो लोग पढेंगे। हिन्दी ब्लागजगत में अगर किसी एक को चुनना हो तो आज वो हिन्द युग्म है। शुरूआती जरा से लफ़डों के बाद उन्होने अपने आप का सम्भाला और ऐसा संभाला कि मन खुश हो गया। अब देखिये, बिना किसी बवाल के कितना कुछ कर डाला है उन्होने। podcast.hindyugm.com पर जितनी मेहनत की गयी है उसे देखकर अच्छे अच्छों को चक्कर आ जाये।
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तुम्ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना,ब्लागर जान के,ब्लागर जान के न हमको यूं भूला देना,चिट्ठा मे न सही चिट्ठी चर्चा मे जगह देना,गरीब सारी,ब्लागर जान के।सटीक।
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परम आदरणीय ज्ञान जी,अब तक हम आपका सिर्फ़ आदर किया करते थे मगर इस पोस्ट के बाद आप तहेदिल से सम्मान के अधिकारी हो गए। जो न समझें न सही मगर जो समझते हैं वो यही कहेंगे कि इस पोस्ट में आपका ब्लॉगजगत के प्रति स्पष्ट अपनापन झलक रहा है। आप नहीं चाहते कि अदब की गरिमा गर्त में गिरे।काश लोग आपके कहे का मर्म समझ सकें।
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मैं कह रहा था जी कि… किसी ने अब तक "चिठ्ठू चर्चा" तो पेटेंट नहीं करवाया है ना. अपनी दुकान के लिये यही नाम सोचा है.
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चिठ्ठाचर्चाकार…..जय होचिठ्ठीचर्चाकार…..जय होन्यू चिठ्ठाचर्चाकार…..जय होबेस्ट चिठ्ठाचर्चाकार…..जय होअसली चिठ्ठाचर्चाकार…..जय होगुड है जी पर बेलिंक क्यों। ब्लॉग-शौर्य लिंकन में ही व्यक्त होता है। :)
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आदरणीय ज्ञानदत्त जी,एक छोटी सी पोस्ट(ब्लॉगिंग का सार समेटे हुये)पर मुझसे पहले की गई ३९ टिप्पणीयों को पढ़ना इतना आनंददायी था बस मस्त हो गये।करीब करीब सभी ने अपनी बात कही और स्वानंदानुभूति पायी।मुझे भी अपने उच्चरक्तचाप के बीच खिलखिलाने का मौका मिला।सादर,मुकेश कुमार तिवारी
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