अभिव्यक्ति का स्फोट


सांझ घिर आई है। पीपल पर तरह तरह की चिड़ियां अपनी अपनी आवाज में बोल रही हैं। जहां बैठती हैं तो कुछ समय बाद वह जगह पसन्द न आने पर फुदक कर इधर उधर बैठती हैं। कुछ एक पेड़ से उड़ कर दूसरे पर बैठने चली जाती हैं। क्या बोल रहीं हैं वे?! जो नContinue reading “अभिव्यक्ति का स्फोट”

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