वक्र टिप्पणियों का बहुधा मैं बुरा नहीं मानता। शायद मैं भी करता रहता हूं। पर विवेक सिंह की यह पिछली पोस्ट पर वक्र टिप्पणी चुभ गई:
“मेरी पत्नीजी के खेत का गेंहूं है।”
क्या ! आप अभी तक दहेज लिए जा रहे है ?
याद आया अपनी शादी के समय का वह तनाव। मैं परम्परा से अरेंज्ड शादी के लिये तैयार हो गया था, पर दहेज न लेने पर अड़ा था। बेवकूफ समझा जा रहा था। दबे जुबान से सम्बोधन सुना था – चाण्डाल!
अब यह विवेक सिंह मुझे चाण्डाल बता रहे हैं। मैं शादी के समय भी चाण्डाल कहने वाले से अपॉलॉजी डिमाण्ड नहीं कर पाया था। अब भी विवेक सिंह से नहीं कर पाऊंगा।
ब्लॉगिंग का यह नफा भी है, कुरेद देते हैं अतीत को!
हां, नत्तू पांड़े के चक्कर में हिंजड़े बाहर गा-बजा रहे हैं। यह बताने पर कि नत्तू पांड़े तो जा चुके बोकारो, मान नहीं रहे! उनका वीडियो –

गनीमत है कि आप के पास शादी का फोटू है जो चिपका दिया। इधर तो वो भी नहीं है। फोटोग्राफर हमारा दोस्त हुआ करता था। उस को न्यौता दिए थे बारात में चलने का। पर उस को कोई बड़ी पार्टी मिल गई फोटू खिंचवाने के लिए। हम से उस ने माफी मांग ली। हमने भी सोचा कोई बात नहीं दोस्त को कमाने दो। ससुराल वालों ने इंतजाम किया ही होगा। पर उन्हों ने भी ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया हुआ था। उधर के बाजार में फोटो वाले को तलाश किया तो पता लगा कस्बे में एक ही फोटू वाला है सो दूसरे की बारात में गया हुआ है। हमारी शादी का कोई फोटू नहीं है। लोग ये नहीं कहें कि हम बियाहे ही नहीं थे सो हमने अपनी शादी की पंच्चीसवीं वर्षगांठ पर फोटू खिंचवा डाले। दहेज तो दिया ही जाता था। इतना जिस से किसी को तकलीफ न हो। सन् पिचहत्तर में कुल जमा 12000 और कुछ रुपए हमारे पिताजी के खर्च हुए थे हमारी शादी में। कोई 15000 हमारे ससुराल का खर्च हुआ होगा। बारात आधे रास्ते लाइन की बस से और आधे रास्ते ट्रेन से वापस लौटी थी। हमारे पिताजी के चाचा मुखिया थे। उन्होने बस में दुल्हा-दुल्हन का टिकट लेने से मना कर दिया। हम शादी कर के दुल्हनिया के साथ बिना टिकट बस में सफर करवाए गए। ट्रेन का पता नहीं, हो सकता है उहाँ भी न लिया हो।
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गनीमत है कि आप के पास शादी का फोटू है जो चिपका दिया। इधर तो वो भी नहीं है। फोटोग्राफर हमारा दोस्त हुआ करता था। उस को न्यौता दिए थे बारात में चलने का। पर उस को कोई बड़ी पार्टी मिल गई फोटू खिंचवाने के लिए। हम से उस ने माफी मांग ली। हमने भी सोचा कोई बात नहीं दोस्त को कमाने दो। ससुराल वालों ने इंतजाम किया ही होगा। पर उन्हों ने भी ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया हुआ था। उधर के बाजार में फोटो वाले को तलाश किया तो पता लगा कस्बे में एक ही फोटू वाला है सो दूसरे की बारात में गया हुआ है। हमारी शादी का कोई फोटू नहीं है। लोग ये नहीं कहें कि हम बियाहे ही नहीं थे सो हमने अपनी शादी की पंच्चीसवीं वर्षगांठ पर फोटू खिंचवा डाले। दहेज मांगने औ
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आदरणीय ज्ञान जी , सबसे पहली बात तो इस ब्लोग का कलेवर बहुत खूबसूरत है, शादी की इतनी पुरानी तस्वीर आज के लिए बहुत उपयुक्त है , आज विश्व धरोहर दिवस है न इसलिए , शुभ मौकों पर हिजडों के आने गाने की रौनक का अपना ही एक आनंद है । पोस्ट में वीडियो ने चार चांद लगा दिए हैं । विवेक जी की किंचित ही ये मंशा तो कतई न होगी शायद , कम से कम आपके लिए , ऐसी मुझे लगता है ।
अजय कुमार झा
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तो लगता है महाराज अब यही बस जायेंगे ?
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“न कोई शाश्वत बुजुर्ग होता है न शाश्वत शिशु!” हाँ Transactional Analysis में इसे पढ़ा भी था .
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पहले मैं समझता था कि आपने कभी विवेक जी की पूंछ उमेठी होगी, तभी सदा आपको सींगों पर धरने को आतुर रहते हैं. लेकिन फ़िर पाया कि वे समभाव से सभी को ऐसी ही टिप्पणियों से नवाजते हैं, व्यक्तिगत रुप से केवल आप ही से कुपित नहीं. जाने दीजिये, भले इन्सान हैं.
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हां, कुछ लोगों के पास सींग ही है, इतने अधिक विकसित हैं कि पूंछ तो विकासवाद में समाप्त हो गयी है! :(
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चलिये, इसी बहाने आपकी शादी की तस्वीर देख ली.
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एक पल में “मानसिक हलचल” ‘मेरी हलचल’ में बदल गई!:)
मैं गहरे में नहीं समझ पाया था आपके डिस्कस वाले प्रयोग को. कुछ अद्विग्नता थी उस समय, शायद इसलिए उस बेहतर बदलाव को सोचे बिना खारिज कर दिया, उसका मुझे खेद है.
हर बदलाव को समझने में समय देना चाहिए. जानता हूँ इस बात को लेकिन क्या करूँ, इम्पर्फेक्शन तो रहेगी ही न.
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अच्छा लगा यहां आकर।
दहेज नहीं लेने के कारण बस घर बसाने में काफी दिक्कतें हुई।
पर फॉलोअर भी काफ़ी बनें।
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मेरा एक मित्र जो दहेज नहीं लेना चाह रहा है उसके बारे में उसके गाँव वाले बोल रहे हैं कि “लईका के शहर के हवा लग गेल बा”.. :)
ज्ञान सर – दिल पर कई बात लग जाती है, बाद में गौर से सोचने पर मैंने पाया है कि अक्सर वो उस इंटेंशन से नहीं कही गई होती है.. मेरे ख्याल से आप मुझसे बेहतर जानते होंगे कि कैसे उस स्थिति से निकला जाए..
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हां, बहुधा समय समझा देता है!
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कि “लईका के शहर के हवा लग गेल बा” :)
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