महानता के मानक

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं। प्रवीण इस विषय पर दो और पोस्टें प्रस्तुत करेंगे -एक एक दिन के अंतराल पर।

विषय यदि एब्स्ट्रैक्ट हो तो चिन्तन प्रक्रिया में दिमाग का फिचकुर निकल आता है। महानता भी उसी श्रेणी में आता है। सदियों से लोग इसमें जूझ रहे हैं। थोड़ी इन्ट्रॉपी हम भी बढ़ा दिये। बिना निष्कर्ष के ओपेन सर्किट छोड़ रहे हैं। सम्हालिये।
सादर, प्रवीण|

महानता एक ऐसा विषय है जिस पर जब भी कोई पुस्तक मिली, पढ़ डाली। अभी तक पर कोई सुनिश्चित अवधारणा नहीं बन पायी है। इण्टरनेट पर सर्च ठोंकिये तो सूचना का पहाड़ आप पर भरभरा कर गिर पड़ेगा और झाड़ते-फूँकते बाहर आने में दो-तीन दिन लग जायेंगे। निष्कर्ष कुछ नहीं।
तीन प्रश्न हैं। कौन महान हैं, क्यों महान हैं और कैसे महान बने? पूर्ण उत्तर तो मुझे भी नहीं मिले हैं पर विचारों की गुत्थियाँ आप के सम्मुख सरका रहा हूँ।

कैसे महान बने – लगन, परिश्रम, दृढ़शक्ति, …….. और अवसर। एक लंबी कतार है व्यक्तित्वों की जो महानता के मुहाने पर खड़े हैं इस प्रतीक्षा में कब वह अवसर प्रस्तुत होगा।

क्यों महान हैं – कुछ ऐसा कार्य किया जो अन्य नहीं कर सके और वह महत्वपूर्ण था। किसकी दृष्टि में महत्वपूर्ण और कितना? “लिम्का बुक” और “गिनीज़ बुक” में तो ऐसे कई व्यक्तित्वों की भरमार है।

कौन महान है – इस विषय पर सदैव ही लोकतन्त्र हावी रहा। सबके अपने महान पुरुषों की सूची है। सुविधानुसार उन्हें बाँट दिया गया है या भुला दिया गया है। यह पहले राजाओं का विशेषाधिकार था जो प्रजा ने हथिया लिया है।
पता करना चाहा कि इस समय महानता की पायदान में कौन कौन ऊपर चल रहा है बिनाका गीत माला की तरह। कुछ के नाम पाठ्यक्रमों में हैं, कुछ के आत्मकथाओं में, कुछ के नाम अवकाश घोषित हैं, कुछ की मूर्तियाँ सजी है बीथियों पर, अन्य के नाम आप को पार्कों, पुलों और रास्तों के नामों से पता लग जायेंगे। लीजिये एक सूची तैयार हो गयी महान लोगों की।

क्या यही महानता के मानक हैं?

विकिपेडिया पर उपलब्ध पाराशर ऋषि/मुनि का इन्दोनेशियाई चित्र। पाराशर वैषम्पायन व्यास के पिता थे।

Parasara-kl

पराशर मुनि के अनुसार 6 गुण ऐसे हैं जो औरों को अपनी ओर खीँचते हैं। यह हैं:
सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग


इन गुणों में एक आकर्षण क्षमता होती है। जब खिंचते हैं तो प्रभावित होते हैं। जब प्रभाव भावनात्मक हो जाता है तो महान बना कर पूजने लगते हैं। सबके अन्दर इन गुणों को अधिकाधिक समेटने की चाह रहती है अर्थात हम सबमें महान बनने के बीज विद्यमान हैं। इसी होड़ में संसार चक्र चल रहा है।

पराशर मुनि भगवान को परिभाषित भी इन 6 आकर्षणों की पूर्णता से करते हैं। कृष्ण नाम (कृष् धातु) में यही पूर्णता विद्यमान है। तो हम सब महान बनने की होड़ में किसकी ओर भाग रहे हैं?

महानता के विषय में मेरा करंट सदैव शार्ट सर्किट होकर कृष्ण पर अर्थिंग ले लेता है।

और आपका?


यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

27 thoughts on “महानता के मानक

  1. बहुत बढ़िया पोस्ट. कुछ कहना चाहूँगा. पहली बात यह कि अच्छा यही होगा कि लोग खुद को महान घोषित कर लें. दूसरों पर भरोसा करने का ज़माना नहीं रहा अब. दूसरी यह कि संपत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग में दो गुण और जोड़ दिए जाने चाहिए. सेकुलरता और मूर्खता. मुनि पराशर का इण्डोनेशियाई चित्र अद्भुत है.

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  2. @ Ratan Singh Shekhawatन केवल बाँट दिया है वरन उनकी रेटिंग भी कर दी है ।@ Smart Indian – स्मार्ट इंडियनकदाचित हमारे पास कोई चित्र ही न बचा हो पाराशर मुनि का । इण्डोनेशिया वाले बचाकर रखे तो हैं ।@ वाणी गीतमीडिया तो किसी को भी महान साबित कर सकता है । हम और आप जिससे अभी भी कुछ सीखने की प्रेरणा लेते हैं, वे महान बने रहेंगे ।@ सतीश सक्सेनाजो अपना आकलन कर सकें, उन्हें मैं संस्तुति करूँगा ज्ञानदत्त जी से कि अतिरिक्त 20 अंक और दिये जायें ।@ डॉ महेश सिन्हाहम भी अभी तक समझने का ही प्रयास कर रहे हैं, महानता को ।

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  3. "सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग" आपने मजबूर कर दिया अपना आकलन करने के लिए ! कोशिश करता हूँ ..संपत्ति – १० में ३ नंबर शक्ति – १० में ५ नंबर यश – डरते डरते १० में ७ नंबर दे रहा हूँ …भरोसा ही नहीं है कोई सामने तो बुराई नहीं करता सौंदर्य – कद छोटा है अतः ५ नंबर घटा दूं तो ५ मान सकते हैं ज्ञान – १० में से ६ से अधिक नहीं हो सकते काश मेरा नाम भी ज्ञान होता त्याग – यहाँ १० दिए जा सकते हैं अधिक देने को कुछ बचता ही नहीं सो कुल नंबर ३६ मिले ६० में से ! अब बताओ मास्साब आपका क्या आकलन है ! उत्सुकता है उम्मीद है ज्ञान भाई भी मदद करेंगे !

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  4. महानता के मापदंड बदल गए हैं आजकल ..मगर फिर भी …याद करने की कोशिश करते हैं की किसको महान साबित किया जा सकता है …!!

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  5. पराशर मुनि की बात को तो खैर कौन काट सकता है मगर यह इण्डोनेशियाई चित्रकला भी क्या गज़ब की चीज़ है! अगली कड़ियों के इंतज़ार में बैठे हैं.

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  6. महानता पर सुंदर निबंध। बचपन में जब कहानी पढ़ा करता था- सिकंदर दी ग्रेट, अशोका दी ग्रेट- तो लगता था कि‍ दी ग्रेट कुछ लोगों का सरनेम है।

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  7. आजकल तो महानता का पैमाना ही अलग हो गया | सरकारें उसी महापुरुष को महान मानती है जिनके नाम पर वोट मिल जाये | अब देखिये न आजकल गाँधी जी राजनेताओं के लिए अप्रासंगिक और आम्बेडकर प्रासंगिक हो गए |@ सबके अपने महान पुरुषों की सूची है। सुविधानुसार उन्हें बाँट दिया गया है या भुला दिया गया हैआपकी इस बात से 100% सहमत

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