[श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ की यह अतिथि पोस्ट है। पोस्ट क्या है, एक पहेली है। आप अपना दिमाग लगायें, टिप्पणी करें और इंतजार करें कि श्री विश्वनाथ उनपर क्या कहेंगे। मैं कोई हिण्ट या क्ल्यू नहीं दे सकता – मुझे खुद को नहीं मालुम कि सही उत्तर क्या है!]
यह 2G घोटाले से देश को कितना घाटा हुआ?
माननीय कपिल सिब्बल जी कहते है जीरो (०) करोड।
अन्य लोग कहते हैं १,७०,००० करोड।
किसपर यकीन करूँ?
अच्छा हुआ कि हम इंजिनीयर बने और चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट नहीं बने।
एक किस्सा सुनिए।
इतने सालों के बाद हम एक छोटी सी अकाउण्टिंग समस्या का सही हल नहीं दे सके । हमें शर्मिन्दा होना पडा और अपने आप को कोस रहें हैं। तो इतने बडे घोटाले से हुए नुकसान का अनुमान यदि कोई नहीं कर सका तो कोई अचरज की बात नहीं।
आप शायद सोच रहे होंगे कि बात क्या है?
लीजिए, सुनिए मेरी एक काल्पनिक कहानी।
हाल ही में मैंने एक पुस्तक खरीदी।
एक दोस्त ने मुझ से कहा।
“तुम्हारी यह पुस्तक बडे काम की है। कितने में खरीदी?” मैंने उत्तर दिया: “७० रुपये।”
दोस्त ने कहा: “अरे भाई मुझे यह पुस्तक बहुत पसन्द है। मुझे दे दो। अपने लिए तुम दूसरी खरीद लेना। इस पुस्तक की कीमत मैं तुम्हें दे देता हूँ।”
यह कहकर मेरे दोस्त ने मेरे हाथ में एक सौ का नोट थमा दिया और ३० रुपये वापस लेने के लिए रुका।
मेरे पास छुट्टे पैसे नहीं थे। पास में एक दूकानदार के पास जाकर उसे यह सौ का नोट देकर उससे दस रुपये के दस नोट लेकर, अपने दोस्त के ३० रुपये वापस किए।
दोस्त चला गया। उसके जाने के बाद, दूकानदार ने मेरे पास आकर कहा, “यह सौ का नोट तो नकली है!”। मैंने परेशान होकर, उससे वह नकली नोट वापस लेकर, अपनी जेब से एक असली १००रु का नोट उसे देकर उसे किसी तरह मना लिया। नकली नोट को मैंने फ़ाडकर फ़ेंक दिया।
अब सवाल है: मेरा कितना घाटा हुआ?
७० ? १००?, १३०? २००? या अन्य कोई रकम?
अच्छी तरह सोचने के बाद मैंने इनमे में से एक उत्तर चुना। वह गलत निकला। कुछ देर बाद एक और उत्तर दिया। वह भी गलत निकला।
आज मुझे सही उत्तर मिल गया और तर्क भी।
क्या आप या अन्य कोई मित्र बता सकते हैं सही उत्तर क्या है और कैसे आपने तय किया?
आशा करता हूँ कि इस दुनिया में मैं अकाउण्ट्स के मामले में अकेला बुद्धू नहीं हूँ और अन्य साथी भी मिल जाएंगे।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
—
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
LikeLike
Reblogged this on Harikrishnamurthy's Weblog.
LikeLike
सभी मित्रों को मेरा धन्यवाद!
आज मुझे सांत्वना मिली।
हम अकेले बुद्धू नहीं, हमें बहुत से साथी मिल गए।
यह प्यारी पहेली मुझे मेरे मित्र विश्वनाथ शर्माने,( जो न्यू ज़ीलैंड में बसे हैं) भेजी थी और मैं भी तर्क (या, यूँ कहिए, कुतर्क) की जाल में फ़ंस गया।
सबसे पहले मेरी स्वभाविक सोच थी :
जरूर यह सीधा सादा मामला नहीं है।
कोई चाल जरूर है।
सौ रुपये कहने वाले तो बहुत मिल जाएंगे।
हम इतनी आसानी से नहीं फ़ंसेंगे।
जरूरत से कुछ ज्यादा सोचकर मैंने यह तर्क अपनाया।
मेरी एक ७० रुपये की किताब तो गई!
ऊपर से कम्बख्त ने ३० रुपये और एंठ लिये।
बस इतना ही नहीं, अपनी जेब से एक असली १०० का नोट भी खो दिया
तो मुझे २०० का चूना लगा, सौ का नहीं जैसा आम लोग सोचते होंगे!
इस उत्तर को शर्माजी को भेजने के बाद, तुरन्त खयाल आया
अरे! यह तो गलत है। मेरे पास दोस्त को तीस रुपये देने के बाद ७० रुपये तो बचे हैं। तो नुकसान तो १३० का हुआ न?
मुजे अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करने का एक और अवसर मिल गया और शर्माजी को लिख कर कहा कि घाटा २०० नहीं पर केवल १३० का है। शाबाशी का इन्तजार करते दो दिन बीत गये।
सही उत्तर मुझे कल मिला था और हमें शर्मिन्दा होना पडा।
====================
अब सुनिए सही उत्तर।
१००/-
जी हाँ, केवल सौ रुपये।
बाकी सभी जवाब गलत हैं
=====================
दिनेशराय द्विवेदीजी को मेरी बधाई।
सुबह सुबह पाँच बजे सबसे पहले उनके ताजे मस्तिष्क से यह सही जवाब निकला था।
कुछ अन्य साथी भी सही जवाब दे चुके हैं और उनको भी बधाई।
कई मित्र तो चतुर निकले। उन्होंने बडी चालाकी से टिप्पणी की पर कोई उत्तर न देकर बच निकले!
तर्क सीधा सादा है, नकली नोट का मूल्य = घाटा
इसे और अच्छी तरह समझने के लिए आप आँखों में धूल झोंकने वाली बातों को नजरंदाज़ कीजिए।
अपने आप से पूछिए, केवल दो सवाल
इस घटना से पहले मेरे पास क्या था?
इस घटना के बाद मेरे पास क्या बचा?
इनमें अंतर ही घाटा है।
मेरे पास जेब में १०० का असली नोट था जिसे मैंने दूकानदार को नकली नोट के बदले में दिया था।
मेरे पास एक किताब थी जिसका मूल्य था ७० रुपये
कुल मिलाकर मेरे पास १७०/- थे
“दोस्त” के चले जाने के बाद मेरे पास किताब न रही पर ७० रुपये के असली नोट बचे थे
तो घाटा था १७० – ७० = १००/-
बस इतना ही कहना काफ़ी है। ज्यादा सोच या तर्क की आवश्यकता नहीं है। बाकी सभी बातों का कोई महत्व नहीं और आपके मन को भटकाने के लिये जोड दिए गए हैं।
आज सोच रहा हूँ कि जब लोग कुछ ज्यादा पढ लिख लेते हैं या ब्लॉग पर कुछ ज्यादा टिप्प्णी करते हैं तो आम समझ में कमीं महसूस करते हैं। इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण मैं स्वयं हूँ।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
LikeLike
आप सही हो सकते हैं (और अब यह मैं कह सकता हूं कि पोस्ट लिखते समय मैं भी यह आकलन कुछ जद्दोजहद के बाद कर पाया था)। पर मुझे शिवकुमार मिश्र की पहले की गई टिप्पणी का अंश दमदार लगता है –
इसी तरह सलिल वर्मा की टिप्पणी का यह अंश भी महत्वपूर्ण है –
LikeLike
राजा (ओं) के मुताबिक – लाभ
सिब्बल (ओं) के मुताबिक – शून्य लाभ / शून्य नुकसान
विपक्ष के हिसाब से – 200रु. नुकसान
नासमझ जनता की समझ से – 100रु नुकसान
पढ़े लिखों की समझ में – 130 रु नुकसान
लिस्ट जारी है…
🙂
LikeLike
हा! हा! हमारा जवाब 140रु के घाटे पर लॉक कर दें? 😆
LikeLike
Asked my mother, she says Rs 200/-
Book of Rs 70/- + 30/- to the friend, and then 100 Rs to the shopkeeper.
LikeLike
70/- for the book.
100-70 =30/- Given to the friend.
100 – given to the shopkeeper.
Now I will check my answer.
LikeLike
Three more responses received are apended below
For the first time someone is suggesting a new figure of Rs 60/-
Hopefully these are the last of the responses and there will be no more.
Please await the correct answer with reasoning and my comments on wrong answers hopefully by tonight or latest by tomorow noon.
Regards
GV
===========
Re: A simple accounting puzzle
I would say the answer is 100 as that is the amount which was torn off.
BC
Sent from my iPhone
======================
Re: A simple accounting puzzle
Your loss is Rs.60. You lost Rs.100 to shopkeeper. You lost Rs.30 to your friend. Your total loss is Rs.130. You kept with you Rs.70. So the net loss is Rs.130 – Rs.70 = Rs.60
Regards,
R.S
=========================
Re: A simple accounting puzzle
Dear GVji,
I think the total loss would amount to Rs. 200
Rs. 70 (price of the book)+ Rs. 30 (amount given to the friend)+Rs. 100 (amount given to the shopkeeper)
I am pretty sure I am making a fool of myself too!!
Regards
ST
=======
LikeLike
लीजिए, दो और
Re: A simple accounting puzzle
Monday, February 27, 2012 9:54 PM
From: “PR”
To: “G Vishwanath”
pls add the 70 rs of teh book too– so 200 rs in total :))) it suddenly struck me now 🙂
pr
On Mon, Feb 27, 2012 at 6:16 PM, PR wrote:
130 rs ??? the 100 u exchanged with shopkeeper plus the 30 u returned to the friend —
am i correct ??
pr
==================
Re: A simple accounting puzzle
Monday, February 27, 2012 10:37 PM
From:”nr”
Guess your total loss is Rs.170/-
N R
=================
LikeLike
ज़िन्दगी के हिसाब किताब में कभी बलिन्स निगेटिव नहीं होता।
LikeLike
यह सबसे मज़ेदार टिप्पणी!
Good evening Sir,
I have worked out the answer and please let me know hum tik hai ke nahi.
kitab ka moolya Rs.70.00
dost ne diya Rs.100.00
dost ko vapas kiya Rs.30.00
हisaab barabar
dost ko diya hua note naqli Rs.100.00
phir se asli note dukaandaar ko diya Rs.100.00
naqli note maine faad diya
ab mera asli 100 ka note aur mera kitab mujse gaya
uttar hai Rs.170.00 (clue 2g scam 1,70,000 crores)
let me whether the answer is correct or wrong.
also if wrong your correct answer with reasoning.
Regards,
R a.r.
LikeLike