पर थे वे बड़े पक्के सरदार जी! जाते जाते मुझे कोने में बुला कर धीरे से बोले – काका (बच्चे), भौंरा के यार्ड में एक वैगन तीन महीने से पड़ा है, जरा देख लेना!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
पर थे वे बड़े पक्के सरदार जी! जाते जाते मुझे कोने में बुला कर धीरे से बोले – काका (बच्चे), भौंरा के यार्ड में एक वैगन तीन महीने से पड़ा है, जरा देख लेना!