रतलाम की सड़क पर


हमारे पास एक डेढ़ घण्टे का समय था और एक वाहन। सड़क पर घूमते हुये रतलाम का नौ वर्ष बाद का अहसास लेना था। आसान काम नहीं था – जहां चौदह-पन्द्रह साल तक पैदल अनन्त कदम चले हों वहां वाहन में डेढ़ घण्टे से अनुभूति लेना कोई खास मायने नहीं रखता। पर जैसे पकते चावलContinue reading “रतलाम की सड़क पर”

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