स्वच्छ भारत – केले के छिलके और बकरी

शोहरतगढ़
शोहरतगढ़

स्टेशन था शोहरतगढ़। जगदम्बिका पाल जी दुनियां जहान की रेल सुविधायें मांग रहे थे प्लेटफार्म के एक कोने में। सुनने वाले थे श्री मनोज सिन्हा, रेल राज्य मंत्री। हम लोग – पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, जो उनके साथ विशेष गाड़ी में यात्रा कर रहे थे, पाल जी की डेमॉगागरी निस्पृह भाव से झेल रहे थे। जहां यह भाषण चल रहा था, उससे हम दूर खड़े थे – भीड़ से अलग और धूप सेंकते।

इतने में ये रामनामी ओढ़े और गेरुआ पहने व्यक्ति हमारी ओर आते दिखे। हम लोगों के पास से उन्होने एक पैकेट पटरियों पर उछाल दिया। एक बकरी की ओर।IMG_20141130_125714

हम लोगों ने उनके इस कूड़ा फेकने का प्रतिवाद किया। उन्होने सफाई दी कि बकरी के खाने के लिये हैं केले के छिलके।

मैने उस पैकेट की ओर उंगली दिखा कर कहा – क्या वह प्लास्टिक की पन्नी भी खायेगी? वे सज्जन गलती पर थे, पर उजड्ड नहीं थे। चुपचाप हाई लेवल प्लेटफार्म से ट्रैक पर उतरे और अपना फैंका पैकेट वापस ले दूर फिर प्लेटफार्म पर चढ़ कचरे के डब्बे में डाल कर हाथ धोये।

पटरी से पैकेट उठाया उन्होने। बकरी अलग चली गयी। स्वच्छ भारत!
पटरी से पैकेट उठाया उन्होने। बकरी अलग चली गयी। स्वच्छ भारत!

स्वच्छ भारत अभियान में कल यह था हमारा कण्ट्रीव्यूशन।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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