मेरी ब्लॉग पोस्टों में शायद शब्द का बहुत प्रयोग है। पुख्ता सोच का अभाव रहा है। लिखते समय, जब कभी लगा है कि भविष्य में अमुक विषय में अपनी सोच को स्पष्टता दूंगा (सोच को फ़र्म-अप करूंगा), तो शायद का प्रयोग करता रहा हूं। बतौर एक टैग के। अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई में प्रॉबेबिल्टी औरContinue reading “मैं लेखक नहीं हूं (शायद)”
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चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के साथ
लेवल क्रासिंग गेट पर मैं अक्सर निकलता हूं, बटोही (साइकल) के साथ। जब गेट बन्द रहता है तो इन्तजार करता हूं। मेरे सामने साइकल/मोटरसाइकल वाले अपने वाहन तिरछा कर पार हो लेते हैं। चार पहिया वाहन और ट्रेक्टर वाले हॉर्न बजाते रहते हैं। शुरू में गेटमैन ही कहता था कि साहब गाड़ी आने में अभीContinue reading “चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के साथ”
