
वह अपने बैलों के साथ आ रहा था। दोनों बैलों की जोड़ी। काला और सफ़ेद। उनके ऊपर जुआ रखा था। आजकल के ट्रेक्टरहे युग में यह दृष्य असामान्य था। पहले तो मैने उसका चित्र लिया; फिर अपनी साइकिल रोक दी।
कहां जा रहे हो, ये बैल ले कर?
खेत जोतने। अपना खेत। दो ढाई बीघा खेत है। इन्ही से जोतता हूं।
किसके बैल हैं? अपने या किराये पर लिये?
अपने ही हैं। अपना खेत जोतने के लिये। कोई दूसरा कहता है तो दाम ले कर उसका भी जोत देता हूं। खेत जुताई के अलावा ऊंख पेराई में, अनाज की दंवाई में भी इस्तेमाल होता है बैलों का। साल भर का काम है इनके लिये।

मुझे लगा कि यह व्यक्ति छोटी जोत के किसानों के लिये सही सोच वाला जीव है। छोटी जोत वाले के लिये पूल्ड बैलों की जोड़ी एक ट्रेक्टर की बजाय बेहतर विकल्प है, अगर किसान सामुदायिक खेती की बजाय व्यक्तिगत खेती पर ही जोर देते हैं, तो। ट्रेक्टर के स्थान पर हल सही उपकरण है भारतीय स्थिति में। हल अगर बैलों से न चले तो एक छोटी 2-3 हॉर्सपावर के जेनरेटर-मोटर से चलने वाला हो। (विकी पर उपलब्ध यह कम्पूचिया का चित्र देखें।)।
उसने मुझसे कहा – यहां सड़क पर क्या फोटो ले रहे हैं, चलिये मेरे खेत में जुताई का फोटो लीजिये। यहीं पास में ही खेत है।

यद्यपि मुझे घर लौटने में देर हो रही थी। सवेरे की सैर का समय ओवरशूट कर चुका था; पर उसके खेत में जाने से अपने को नहीं रोक पाया।
खेत में उसने बड़ी तेजी से हल-बैल नाधे (सेट किये) और पहले से पानी दिये खेत में हल चलाना प्रारम्भ किया – हुर्र, हट्ट, हे हअ जैसी ध्वनियां निकालते हुये। करीब पांच मिनट तक मैने हल चलाना देखा।

बैलों का कोई नाम है?
नहीं। नाम तो नहीं रखा। काला और सफ़ेद हैं। उसी से पहचान है।
आपका क्या नाम है?
डाक्टर।
नाम डाक्टर है?
हां, डाक्टर पासी। पासवान। यहीं करहर में ही घर है मेरा। आपके साथ जो हैं (राजन भाई) वे मुझे जनाते हैं। उनके लड़के ने पांच साल पहले हल से जुताई के लिये मुझे बुलाया था। आपको भी मैं पहचानता हूं। आते जाते देखा है।
डाक्टर पासी ने मुझे नये चित्र भी दिये और सोचने का एम्यूनीशन भी। उन्होने अपने खेत की जुताई जारी रखी। मैं चला आया।

Bahut hi sarthak aur sarahaniy chitran.. Aise hi chhote -chhote imandar kisano par to bana hua hai apana desh. _/\_
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Bhote khubi intresting post
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श्री मान ज्ञान दत्त जी, आपका लिखा और देखा हिंदी व हिन्दुस्तानी समाज की धरोहर है। आपका प्रशंसक सदैव।
राकेश
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धन्यवाद, राकेश जी!
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बहुत खूब।
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