मध्य काल में औरतों को पर्दे में बंद कर इस गांगेय प्रदेश ने जीवन के कला बोध भोथरे कर दिये हैं। आदमी भी वैसे ही हो गए हैं – चिरकुट।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
मध्य काल में औरतों को पर्दे में बंद कर इस गांगेय प्रदेश ने जीवन के कला बोध भोथरे कर दिये हैं। आदमी भी वैसे ही हो गए हैं – चिरकुट।