रास्ते में उन्हें कई जैन मंदिर मिले। इलाका में जैन प्रभाव वाला है। एक स्थान पर उन्होने बहुत आग्रह किया भोजन करने का। मना करने पर उन्होने प्रेमसागार की जेब में कुछ रकम रख दी – कि जब वे भोजन करना चाहें, उससे कर सकें।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
रास्ते में उन्हें कई जैन मंदिर मिले। इलाका में जैन प्रभाव वाला है। एक स्थान पर उन्होने बहुत आग्रह किया भोजन करने का। मना करने पर उन्होने प्रेमसागार की जेब में कुछ रकम रख दी – कि जब वे भोजन करना चाहें, उससे कर सकें।