एक कुशल नाट्य की तरह ऑपरेशन थियेटर में हर कृत्य नपा तुला, बिना किसी हड़बड़ाहट के होता दीखा। वहां उपस्थित सर्जन और दोनो सहायक कर्मी जानते थे कि आगे किस चीज की और कब जरूरत होनी है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
एक कुशल नाट्य की तरह ऑपरेशन थियेटर में हर कृत्य नपा तुला, बिना किसी हड़बड़ाहट के होता दीखा। वहां उपस्थित सर्जन और दोनो सहायक कर्मी जानते थे कि आगे किस चीज की और कब जरूरत होनी है।