दो तरह की उम्र होती है – क्रॉनॉलॉजिकल और बायोलॉजिकल। जब मैं रिटायर हुआ था तो सरकार ने मेरी क्रॉनॉलॉजिकल उम्र के आधार पर मुझे रिटायर किया था। उस समय मुझे लगता था कि मेरे हाथ पैर एक ज्यादा उम्रदराज की तरह थे। मैं बहुत चल नहीं पाता था। सर्वाइकल दर्द और चक्कर आना आम था। साइकिल तीन चार किलोमीटर से ज्यादा नहीं चल सकती थी और गांव की संकरी पगडण्डियों पर चलते तो भय होता था। साठ वर्ष की उम्र में मैं यद्यपि मानसिक रूप से (आर्थिक और भविष्य की अन्य आशंकाओं के बावजूद) दृढ़ था, शारीरिक रूप से सत्तर-पचहत्तर जैसा था।
पर अपने कॉण्ट्रेरियन सोच के कारण अब मैं अपने को सड़सठ साल की क्रॉनॉलॉजिकल उम्र में शारीरिक और मानसिक रूप से पैंसठ-छियासठ का पाता हूं। अब भी उतना सक्षम नहीं बन पाया हूं, पर अक्तूबर-नवम्बर का महीना आते आते एक बारगी तो मन में उठता है कि साइकिल उठा कर रोज पच्चीस तीस किलोमीटर चलते हुये दो-तीन सौ किमी की यात्रा करूं और उसका एक “शानदार” ट्रेवलॉग लिखूं। शायद मेरी पत्नी जी को साइकिल चलाना आता होता; या मुझे एक और जोड़ीदार संगी मिल गया होता तो वह मैं कर भी लेता। शायद आगे आने वाले वर्षों में वह कर भी लूं।

ऐसा नहीं कि बढ़ती उम्र की मेरी समस्यायें नहीं हैं। पर जीवन को ले कर जितना नैराश्य होता है; उससे ज्यादा आशावाद भी उस नैराश्य को धकेलता है। और यह मेरे पोस्ट-रिटायरमेण्ट की उपलब्धि मानी जा सकती है।
उम्र के साथ मुझे प्रोस्ट्रेट ग्रंथि की समस्यायें दो-चार हो रही हैं। मुझे पिछ्ले दो साल में दो बार भीषण यूटीआई (पेशाब की नली का संक्रमण) हो चुका है और यह भय मन में घर कर गया है कि मेरी किडनी पूरी तरह ठीक नहीं हैं। मैं सोचता था कि मेरी प्रोस्ट्रेट ग्रंथि काफी बढ़ गयी है, जिससे पेशाब के रास्ते में अवरोध और बार बार पेशाब लगने की शिकायत होती है – जो सामान्यत: बढ़ती उम्र की एक बीमारी है। मैं भय के कारण नाप कर चार लीटर पानी नित्य पिया करता था। मेरी दवायें भी बदलीं। पर यद्यपि उनसे शुरू में लाभ हुआ पर अब लगा कि स्थिति खराब हो रही है।
पास के सूर्या ट्रॉमा सेण्टर और अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर (डाक्टर) महेंद्र सिंह जी को दिखाया। उन्होने परीक्षण कराये तो यह साफ हुआ कि मेरी प्रोस्ट्रेट ग्रंथि सामान्य आकार की है। समस्या मेरे द्वारा दशकों से ली जा रही डायबीटीज और हाइपर टेंशन की नियमित दवाओं के कारण है। ये दवायें भले ही मेरे शरीर के पैरामीटर सामान्य रखते हों, पर उनका दशकों से सेवन प्रोस्ट्रेट फाइबरॉसिस (Prostrate Fibrosis) का जनक बन गया है। वह प्रोस्ट्रेट ग्रंथि पर जाल पेशाब के प्रवाह को अवरुद्ध करता है। … यह मेरे लिये नयी जानकारी थी। डाक्टर साहब ने मुझे सलाह दी कि मैं जबरी ज्यादा पानी अपने में धकेलना बंद कर दूं। किसी भी रोग के लिये (अनावश्यक) मेडीकेशन से परहेज करूं। बहुत सी दवाओं के यूरीन सिस्टम पर दुष्प्रभाव होते हैं। मौसम और स्थान परिवर्तन के कारण होने वाली सर्दी से अपने को पूरी तरह बचा कर रखूं। अपने व्यायाम और लाइफस्टाइल को इस प्रकार नियंत्रित करूं कि अनावश्यक सर्दी से बचा जा सके।
स्वास्थ्य और उम्र के साथ हो रहे परिवर्तन लाइफ स्टाइल पर नये नये गोल पोस्ट; नयी बाउण्ड्री कंडीशन बनाते हैं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि सर्दी का मौसम में आठ बजे तक गंगा किनारे जाने के लिये निकलना सही नहीं है। स्वेटर और टोपी आदि पहनने में कोताही नहीं होनी चाहिये। व्यायाम और पैदल चलना घर में ही हो सकता है। मौसम खराब हो तो घर का परिसर ही इतना बड़ा है कि उसमें गोल गोल चक्कर लगा कर चालीस पचास मिनट साइकिल चलाई जा सकती है। और पैदल चलते या घर में साइकिल चलाते ऑडीबल पर पुस्तक या पॉडकास्ट सुना जा सकता है। इसके अलावा जीवन के अनुभव का इतना मसाला है कि उसके आधार पर एक दशक गुजारा जा सकता है रोज एक हजार शब्दों के लेखन का नित्य लेखन करने के साथ भी।
अपने आप को कालजयी लेखक, ब्लॉगर या कोई शानदार लीगेसी छोड़ कर जाने का फितूर न पाला जाये तो क्रियेटिव तरीके से आने वाले दशक – कई दशक – दीर्घ और स्वस्थ्य जीवन के साथ गुजारे जा सकते हैं। बाकी, जो होगा सो होगा ही। होईहैं सोई जो राम रचि राखा!
थायराइड, डाइबिटीज और ऑस्टियोअर्थराइटिस के बावजूद; प्रोस्ट्रेट फाइबरॉसिस के मकड़जाल को भेदते साधते हुये; शतायु जीवन की कल्पना की जा सकती है और उसको साकार करते हुये जिया जा सकता है। अपनी जिद पर कॉण्ट्रेरियन सोच के साथ गांव में रीवर्स माइग्रेट करने का साहस मैं रखता हूं तो इस प्रकार जीवन भी जिया जा सकता है।
एक पखवाड़े में सड़सठ का हो जाऊंगा। तब के लिये यही सोच है। यही संकल्प!
जय हो!
🙏🙏
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धन्यवाद अरुण जी.
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Thank you Sir 🙏
I understand Hindi very well but can’t write ✍️
Post retirement, you are doing very well in this world of blog 😃
I am also a retired person running 64😃
Your posts are very nice and practical. It is necessary to be active and contribute to society. You are doing good by sharing your thoughts 💭
Take care.
Best regards 🙏
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आपको शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद अरुण जी. आपको भी रिटायर्ड जीवन की सार्थकता के लिए शुभकामनाएं!
जय हो 🙏🏼
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बहुत खूब लिखा है महोदय आपने। आपके मेरे द्वारा तैयार किये तेल पर लिखे आपके फीडबैक के बाद आपका ब्लॉग नियमित पढ़ने लगा। बड़ा सहज सा एक्सप्रेशन है। स्वस्थ रहने का पहला मन्त्र है मन और भाव से स्वस्थ होना। जो आपके ब्लॉग से स्पष्ट है ,बस जैसा डॉ बाजपेयी जी कह रहे हैं उसी तरह का कोई क्रम अपनाना होगा। नियमित आसन, प्राणायाम, ध्यान जीवनचर्या का अंग बन जाए तो समझिये सोने में सोहागा। आपकी सोच सकारात्मक है इसीलिए परिणाम मिलने में देर नहीं होगी। एलोपैथिक दवाओं का शरीर पर बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ता है इसमें कोई शक़ नहीं और दिक्कत यही है कि उनके दुष्प्रभावों को हम जान ही तब पाते हैं जब देर हो चुकी होती है। वैसे भी किडनी, लीवर, गॉल ब्लैडर, स्पलीन वो बेचारे अंग हैं जिन पर हम कभी ध्यान नहीं देते। ये सब बड़ी ईमानदारी से शरीर की खींचते रहते हैं। पर देर आयद, दुरुस्त आयद। आप दवाओं से जितनी जल्दी निज़ात पाएंगे उतनी जल्दी ही शरीर स्वस्थ होगा। ये बात जरूर है कि मेडिकल के आंकड़ों का डर मजबूर करता है कि दवा ज़ारी रखी जाए। खान पान में बदलाव, प्रकृति से जुड़ने की आदत, और एक पक्का निश्चय कि बस हो गया, निश्चित रूप से बाहर निकलने में मदद करेगा। आप वैसे भी ग्रामीण परिवेश में पहुँच गए हैं, प्रकृति के समीप हैं, आपकी इच्छा शक्ति बलिष्ट है तो आप बस इस द्वार से बाहर निकलने के लिए तैयार हैं। मेरे एक मित्र हैं जिनकी उमर भी 67 की है, उनकी बाईपास लगभग 10 साल पहले हुई थी। बस इच्छा शक्ति के बल पर आज रोज 1400 फ़ीट की पहाड़ी हम रोज़ दो बार चढ़ते उतरते हैं। मैं स्वयं 64 का होने जा रहा हूँ लेकिन नियमित दिनचर्या से अपने आप को आज तक दवाओं से बचाये रखा। आप जल्दी से स्वस्थ हों यही ईश्वर से प्रार्थना है।
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आप ट्रेवेलॉग लिखे, यह तो बहुत सुंदर प्रयास होगा और निश्चित रूप से एक प्रेरणा देने वाला डॉक्यूमेंट होगा।
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धन्यवाद पीयूष जी.
मेरी पत्नी जी कहती हैं कि बहुत अर्से बाद मैंने कोई आशावादी पोस्ट लिखी थी. अन्यथा तो मैं सिनिकल ही प्रमाणित करता हूँ अपने को.
आप जैसे लोगों का ऐसा फ़ीड बैक मुझमें नयी ऊर्जा देगा, आशा करता हूँ…
पुनः धन्यवाद 🙏🏼
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आप अभी भी डाक्टरों के मकड़जाल मे फसे हुए है इसीलिए तकलीफ पर तकलीफ भोग रहे है /इस मकड़जाल से बाहर निकलिए और पास के किसी इटीग्रेटेड डाक्टर से इलाज कराइए, आपकी सभी स्वास्थ्य सम्बधी समस्याए हल होंगी/ ज्यादा पानी पीने से तो किडनी नहीं खराब होती है अलबत्ता कम पानी पीने से जरूर खराब हो जाएगी/बार बार यूटीआई इन्फेक्शनों के होने का मतलंब यह है की आपके शरीर मे एण्टीबायोटिक दवाओ का असर कमजोर साबित हो रहा है /यह स्तिथि केवल इंटीग्रेटेड इलाज से ही सुधर सकती है/ दूसरा कोई रास्ता नहीं है/
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वाजपेई जी मेरे प्रोस्टेट के इलाज करने वाले डाक्टर साहब ने भी कहा है कि एंटी बायोटेक दवाई से मैं परहेज करूँ. वे अंततः किडनी तंत्र पर दुष्प्रभाव डालती हैं.
आप भी वही कह रहे हैं.
इंटीग्रेटेड चिकित्सा का कोई मेरे परिवेश में चिकित्सक नहीं है. हो तो उन्हें आजमाया जा सकता है.
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पांडे जी,आप जहा रहते है वही पास के बड़े शहर बनारस/ इलाहाबाद मे पता करिएगा/हिन्दु युनीवर्सिटी वाराणसी मे इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस मे आयुर्वेद फ़ैकल्टी है और वहा अस्पताल भी है,जाकर चिकित्सकों से सलाह ले/आप हमारे पास कानपुर आ सकते है और सलाह ले सकते है/हमारे यहा आयुर्वेद स्कैनर्स और रक्त मूत्र की जांच करके जो भी रिजल्ट मिलते है उनके आधार पर आयुर्वेद एलोपैथी होम्योपैथी और यूनानी दवाओ का मिलाजुला चुनाव करके प्रेसक्रिप्शन लिख दिया जाता है/सभी दवाये बाजार से खरीदते है /हमारे यहा से कोई भी दवा नहीं दी जाती है,हम केवल सारे शरीर की मशीनों द्वारा जांच करते है और बीमारी की जड़-मूल का पता करते है/उसके बाद दवाये सजेस्ट करते है/आप जहा है वहा के होम्योपैथी या आयुर्वेद के किसी एक्सपर्ट से सलाह ले और प्रोस्टेट का इलाज करे/यह ठीक हो जाती है/
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आपके शतायु होने की कामना व ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।
काश कि आपसे पुनः भेंटकर आपका आशीर्वाद प्राप्त कर पाता।
🙏🙏🙏🙏
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आपका स्वागत है बंधुवर! 🙏🏼
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Beautiful and motivational write-up.
Thanks for sharing Sir.
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धन्यवाद 🙏🏼
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आज सुबह सुबह उठा तो पहला काम इसको पढ़ा तो लगा कि एक दिन हम सबको सेवानिवृत होना है और सबके समछ कमोबेश यह सब आने वाला है। आपकी उम्र में आपने अपनी छमता को साइकल के माध्यम से बढ़ाया, यह एक बहुत बड़ा संदेस है, क्योंकि समय और स्वास्थ्य में जब कमी आती है या छीड़ होने पर ही उधर ध्यान जाता है।
आपको जन्मदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ। 🙏🙏
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धन्यवाद राज कुमार जी 🙏🏼
आपसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए. आपकी गेस्ट पोस्टों के लिए ऑफर सदैव खुला है. 😁
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मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है। एक उच्च स्तर के अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए, उल्टी दिशा में प्रवास को कार्यरूप देते हुए और एक नए ग्रामीण वातावरण में अपनी गृहस्थी जमाते हुए जो एक चीज आपने निरंतर जारी रखी है वह है आपका हिन्दी में निर्बाध लेखन। आपके लेखन से यह भी पता चलता है कि आप पुस्तकें भी बहुत पढ़ते हैं। उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य संबंधी जो समस्याएं पैदा होती हैं उनका बखूबी सामना करते हुए अपनी जिजीविषा को प्रभावी बनाए रखने का गुण आपसे सीखना चाहिए।
ईश्वर आपको यूं ही तंदुरुस्त और मन-दुरुस्त बनाए रखे। आप अगली पीढ़ी के हम जैसे लोगों को यूं ही पूरे उत्साह और उमंग से सुरुचि के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देते रहें। आप शतायु हों। हार्दिक शुभकामनाएं ।
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वाह सिद्धार्थ जी, आपने बारे में इस तरह की सोच तो मेरे मन में स्वप्न में भी न आई। आप द्वारा मेरी प्रशंसा और मेरे प्रति शुभ सोच के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼
आशा है हमारा संपर्क ऐसे ही प्रगाढ़ और शाश्वत चलेगा।
जय हो 🙏🏼
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77 वर्षीय भुक्तभोगी हूं। बिन मांगे सलाह दे रहा हूं। मधुमेह और रक्तचाप के लिए तुरंत आयुर्वेद का सहारा लें। एलोपैथी से होने वाले बहुत से दुष्प्रभावों से बच जाएंगे। जल जीवन और ज़हर दोनों है। केवल आवश्यक मात्रा में इच्छा होने पर ही पीएं।
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धन्यवाद शर्मा जी 🙏🏼
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बस कल ही retire हुई हूँ! आपका ब्लॉग 2-3 साल से पढ़ रही हूँ और उस से रिटायरमेंट के लिए मानसिक रूप से तैयार होने में बहुत मदद मिली! धन्यवाद!
आप अभी भी इतनी साईकल चला लेते हैं ये मेरे लिए अजूबा है!
वैसे 3 साल पहले, केदारकंठ चोटी का winter trek यूं ही अपनी उम्र को चुनौती देने के लिए कर डाला था…मुश्किल था पर कर डाला…अब नियमित रूप से treking की जाएगी…
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जय हो 🙏🏼
आप मेरा साइकिल चलाना देखिए और मैं आपकी ट्रेकिंग! परस्पर प्रेरणा ली जाए! 😁
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