22 फरवरी 2023
यात्रा विवरण लिखने की कवायद शुरू हो गयी है। करीब सात-आठ बजे प्रेमसागर का फोन आने लगा है। पिछली ज्योतिर्लिंग यात्रा विवरण देने से वे मोटे तौर पर जानने लगे हैं कि यात्रा के दौरान मुझे उनसे किस तरह की जानकारी चाहिये। चाय की दुकान उनका पहला पड़ाव होता है। दिन की पहली बात और चित्रों के ढेर उसी समय एक्स्चेंज होते हैं।



सवेरे के दृश्य
आज वे सवेरे सवा पांच-साढ़े पांच बजे के बीच अमरपाटन में वन विभाग की नर्सरी के कर्मी तिवारी जी के घर से रवाना हुये। सवा छ बजे के चित्र हैं जिनमें हाईवे के क्षितिज पर उषा की लालिमा है। वाहनों और घरों की जलती लाइटें हैं। चाय की दुकान वाले का फोटो है जिसमें पान मसाला के लटकते हुये पाउच भी हैं। एक अन्य दृष्य में सड़क किनारे अलाव जलाये दो लोग भी हैं। ये तीनों चित्र सवेरे का वातावरण बखूबी कैच करते हैं। प्रेमसागर जानते हैं कि मुझे यही चाहियें। वे यह भेज कर बात प्रारम्भ करते हैं।
सवेरे की चाय के दौरान विचित्र बात हुई। प्रेमसागर ने बताया कि उन्होने चाय का एक घूंट भर पिया था कि एक भिखमंगा आ गया। अनुरोध किया – चाय पिलाओ। प्रेमसागर ने दुकानदार को एक चाय उसे देने को कहा। पर भिखमंगे ने वही चाय देने को कहा जो प्रेमसागर पी रहे थे। यह बताने पर भी कि वह जूठी हो गयी है, भिखमंगे ने वही चाय मांगी – “नहीं, वही चाय जो पी रहे हो मेरी गिलास में पल्टी कर दो”। वह जूठी चाय पी कर भिखमंगे ने एक पानमसाला दिलाने की बात की। प्रेमसागर ने दुकानदार को एक पाउच देने को कहा पर भिखमंगा बोला कि वे अपने हाथ से दें और उसमें जर्दा मिला कर दें। अजीब लगा प्रेमसागर को, पर उस विचित्र भीख मांगने वाले के लिये वह भी किया।
जूठी चाय और फिर पानमसाला-जर्दा। अचानक प्रेमसागर को लगा कि उस भिखमंगे का एक फोटो ले लेना चाहिये। पर तब देखा कि वह भिखमंगा गायब हो गया है। शाम रींवा पंहुच कर लोगों को यह घटना बताई तो उनका कहना था – महादेव और माई बीच बीच में अपने गणों को भेजते रहते हैं। उससे ज्यादा उद्विग्न नहीं होना चाहिये। यह तो लीला है!
मेरी पत्नीजी ने यह घटना सुनी तो टिप्पणी की – अरे शंकर जी ने नंदी को भेजा था। यह कह कर कि जाओ देख कर आओ बड़ा साफ सुथरा बनता है। जर्दा-वर्दा नहीं खाता। तुम्हें देता है या नहीं! :lol:
पिछली यात्रा के दौरान उनका एक और रुटीन बन गया था। वे अपनी लाइव लोकेशन शेयर किया करते हैं। ह्वाट्सएप्प पर एक शेयर आठ घण्टे तक चलता है। सो एक दिन की यात्रा में वे दो बार शेयर करते हैं। इण्टरनेट के ठीक से काम न करने पर लोकेशन कभी कभी अपडेट नहीं होती, पर कामचलाऊ काम चल जाता है।

रास्ते में ईंट भट्ठा के कुछ चित्र खींचे प्रेमसागर ने। मध्यप्रदेश में आबादी सघन नहीं है। इसलिये ईंट पकाने की आग के धुयें के उत्सर्जन के लिये बड़ी मीनार जैसी चिमनी वहां नहीं दीखती। कच्ची ईंटों के एक स्तूप नुमा ढेर में बीच में कोयले से आग लगाई जाती है। इस विधा में खर्चा कम आता होगा पर धुआं धरती के आसपास ही रह जाता है।
मसलन आज यह पता चल गया कि प्रेमसागर ने अमरपाटन से रींवा तक की दूरी दोपहर तीन बजे तक नाप ली थी। पूछने पर बताया कि दिन में ज्यादा नहीं रुके। सवेरे की चाय के बाद दिन में एक ही बार चाय पीने रुके थे। अन्यथा चार पांच बार रुकते थे।
उस दिन वाली चाय दुकान वाले सज्जन प्रेमसागर से बात करते कह रहे थे कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी कर वे हनुमान जी का मंदिर बनवायेंगे। मंदिर की जगह भी उन्होने तय कर ली है।

कोई अपना पोस्ट रिटायरमेण्ट मिशन बना ले तो कितना सुकून पाता होगा। और उससे आगे के जीवन का एक ध्येय भी मिल जाता है। चाय वाले दुकानदार शायद वैसे ही मिशन को सोच चुके हैं – और उसको मूर्तरूप देने के लिये जमीन भी तय कर ली है! उसी तरह प्रेमसागर भी एक गौशाला, एक वृद्धाश्रम और विकलांग बच्चों की सेवा के लिये कुछ करने की बात कहते हैं। सनकी आदमी हैं। जब पैदल देश नाप सकते हैं तो शायद ये काम भी कर लें।


शंकर रावत जी के साथ प्रेमसागर और रेस्ट हाउस में सज्जन सिंह
शाम को वन विभाग के अतिथि गृह में जगह मिली प्रेमसागर को। वहां के डिप्टी रेंजर श्री शंकर रावत जी के साथ चित्र भेजा है प्रेमसागर ने। एक वन रक्षक, सज्जन सिंह उनके आत्मीय हैं। पिछली बार रींवा में जब वे रुके थे, तब से उनकी जानपहचान है। सन 2016 में सज्जन सिंह दस साल एवजी कर्मी की नौकरी करने के बाद परमानेंट वन रक्षक बने थे। “मेन बात है भईया कि सज्जन सिंह जी प्रवीण भईया के बड़े चेला हैं। उनकी बहुत याद करते हैं” – प्रेमसागर बताते हैं।
कल सवेरे प्रेमसागर को भोर में ही जल्दी से जल्दी कटरा के लिये निकलना है। गूगल मैप में वह साठ किलोमीटर दूर है। पर कुछ लोग कोई शॉर्टकट भी बता रहे हैं। जो भी तय होगा, कल भी काफी चलना है। चलना है और चलते जाना है!
हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!
| प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
| दिन – 103 कुल किलोमीटर – 3121 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल। |
