वाराही, विशालाक्षी, विश्वनाथ और वाराणसी

2 मार्च 2023, वाराणसी –

मेरी पत्नीजी ने इंतजाम किया प्रेमसागर के वाराणसी ठहराव का। उनके भाई के आभा ट्रेवल्स के सामने है आनंद लॉज। आनंद लॉज में कमरा मिल गया। रात नौ बजे के आसपास पंहुचे होंगे प्रेमसागर लॉज में। मैंने पुस्तक में पढ़ा था कि वाराणसी में दो शक्तिपीठ हैं – मानमंदिर घाट पर वाराही माता और दुर्गाकुण्ड में विशालाक्षी देवी। ये दोनों और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने थे प्रेमसागर को।

किसी ने उन्हें सूचना दी कि वाराही माता का मंदिर सवेरे तीन से पांच बजे ही खुलता है। सो प्रेमसागर लगता है सोये ही नहीं। दो बजे रात में उठ कर जब मंदिर पर पंहुचे तो पता चला कि मंदिर सवेरे साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक खुलता है। उनके पास समय था तो भोर में ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर लिये। वहां कोई भीड़ नहीं थी। उसके बाद आ कर वाराही माता जी के मंदिर के दर्शनार्थियों की लाइन में लग गये। लाइन में लगने वाले वे आठवें व्यक्ति थे। बाद में तो बहुत भीड़ लगने लगी।

वाराही माता के दर्शनार्थियों के चित्र भेजे हैं प्रेमसागर ने। वे जो लाइन में लगे प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके चेहरों से लगता है कि दक्षिण भारतीय अधिक हैं। शक्तिपीठ सही में राष्ट्रीय एकीकरण के बड़े कारक हैं। देश में जितने भक्त भगवान विष्णु या शिव के नहीं हैं, उनसे ज्यादा देवी के या हनुमान जी के हैं। व्यक्ति अपने को इनके ज्यादा करीब पाता है।

वाराही माता मंदिर (पंचसागर शक्तिपीठ) वह स्थान है जहां सती के नीचे के जबड़े गिरे थे। यहां के भैरव ‘महारुद्र’ हैं। वाराही माता का अर्थ है वे जिनका मुंह वाराह (जंगली सूअर) के जैसा है। यहां पूजा पद्यति अन्य शाक्तपीठों से कुछ अलग है। वाराही माता की पूजा यहाँ भगवान विष्णु के अधिक करीब लगती है बनिस्पत भगवान शिव के। पुराणों में भी वाराही देवी के मिथक भगवान विष्णु के अधिक करीब हैं। … हर एक शक्तिपीठ की अपनी अलग पहचान है और उस स्थान तथा उस जगह के लोगों के अनुसार पूजा पद्यति भी अलग है। … भगवान विष्णु का एक अवतार वाराह भी है।

वाराही माता के दर्शन के बाद प्रेमसागर ने वाराणसी के घाटों पर चहलकदमी की। उसके कई मनमोहक चित्र भेजे हैं। पर बनारस के घाटों के चित्रों से तो इण्टर्नेट भरा पड़ा है। उन्हें यहां प्रस्तुत करने की आवश्यकता अधिक नहीं है।

दोपहर तक प्रेमसागर विशालाक्षी मंदिर का दर्शन भी कर चुके थे। विशालाक्षी अर्थात बड़े नयनों वाली। तीन महादेवियों की परिकल्पना है नयन को ले कर शाक्त परम्परा में – मीनाक्षी, कमलाक्षी और विशालाक्षी। वाराणसी का विशालाक्षी मंदिर उन 18 महाशक्तिपीठों में से है जिनका उल्लेख आदिशंकर विरचित अष्टादश महाशक्तिपीठ स्तोत्र में है। यहां के भैरव कालभैरव हैं।

इस मंदिर के दर्शन के बाद इन अठारह महाशक्तिपीठों में से दो का दर्शन प्रेमसागर सम्पन्न कर चुके हैं।

प्रेमसागर ने अब तक सात देवी मंदिरों का दर्शन सम्पन्न कर लिया है। अभी वे नंगे पांव चल रहे थे, अब अपने लिये एक चप्पल खरीदी है। इसके बिना उनके पैर में एक जगह कांच भी गड़ चुका है।

शाम के समय प्रेमसागर ने आराम ही किया। अगले दिन उन्हें गाजीपुर-बक्सर के रास्ते गया के लिये निकलना है। वे सीधे रास्ते, बनारस के राजघाट पर गंगा नदी पार कर डेहरी और सासाराम के रास्ते गया की ओर नहीं चलेंगे। “भईया उस रास्ते में कर्मनासा पार करनी होती है, न?” – प्रेमसागर का कहना है। कर्मनासा हमारे मिथकों में अशुभ नदी हैं। सभी शुभाशुभ कर्मों का नाश करने वाली। उसे पार कर प्रेमसागर अपने पुण्य नहीं गंवाना चाहते।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 34
कुल किलोमीटर – 1244
मैहर। अमरपाटन। रींवा। कटरा। चाकघाट। प्रयागराज। विंध्याचल। कटका। वाराणसी। जमानिया। बारा। बक्सर। बिक्रमगंज। दाऊदनगर। करसारा। गया-वजीरगंज। नेवादा। सिकंदरा। टोला डुमरी। देवघर। तालझारी। दुमका-कुसुमडीह। झारखण्ड-बंगाल बॉर्डर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। फुल्लारा और कंकालीताला। नलटेश्वरी। अट्टहास और श्री बहुला माता। उजानी। क्षीरसागर/नवद्वीप।
शक्तिपीठ पदयात्रा

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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