चाणक्य ने कुशा की जड़ को मठ्ठा पिला कर उसका नाश किया था। चाणक्य ने नंद वंश को भी मठ्ठा पिलाया था। मेरी तो उतनी क्षमता नहीं है। पर अपने घर के सामने की इस गाजर घास का उन्मूलन तो करना ही है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
चाणक्य ने कुशा की जड़ को मठ्ठा पिला कर उसका नाश किया था। चाणक्य ने नंद वंश को भी मठ्ठा पिलाया था। मेरी तो उतनी क्षमता नहीं है। पर अपने घर के सामने की इस गाजर घास का उन्मूलन तो करना ही है।