कई लोग – लगभग 2-3 सौ लोग, जो मुझे मेरे लेखन के कारण नहीं, मेरे पद के कारण मुझसे सोशल मीडिया पर जुड़े थे, वे एक एक कर गायब हो रहे थे। पर जो जुड़ रहे थे, उनमें मैं सुरेश पटेल को ही याद करता हूं। वह जुड़ाव आज भी है। और गहरा!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
कई लोग – लगभग 2-3 सौ लोग, जो मुझे मेरे लेखन के कारण नहीं, मेरे पद के कारण मुझसे सोशल मीडिया पर जुड़े थे, वे एक एक कर गायब हो रहे थे। पर जो जुड़ रहे थे, उनमें मैं सुरेश पटेल को ही याद करता हूं। वह जुड़ाव आज भी है। और गहरा!