उन तीन जगहों – भैरोगढ़, अनास और पंचपिपलिया – में हफ्तों एक चार पहिये के सैलून में रहा। उस काम की बहुत बारीक स्मृतियां हैं। उस समय के चित्र बनाने को मैंने फोटो जनरेटर को कहा तो उसने ठीकठाक चित्र बना दिये।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
उन तीन जगहों – भैरोगढ़, अनास और पंचपिपलिया – में हफ्तों एक चार पहिये के सैलून में रहा। उस काम की बहुत बारीक स्मृतियां हैं। उस समय के चित्र बनाने को मैंने फोटो जनरेटर को कहा तो उसने ठीकठाक चित्र बना दिये।